सुरसुन्दरी के प्रश्न पूछने की बारी थी अब। तीन अक्षर का एक शब्द है। पहला अक्षर छोड़ देने से जो शब्द बनता है – उसे दिल मे से निकाल कर देह को पवित्र बनाना चाहिये। दूसरा अक्षर निकालने से बनने वाला शब्द बल-ताकत से भी ज्यादा है और उससे सभी का दिल जीता जा सकता है। तीसरा अक्षर दूर करने से जो शब्द बनेगा वह अपना-अपना हो तो सब को प्यारा लगता है। और इन अक्षर से बनने वाला पूरा शब्द एक फूल का नाम है और तुम्हारे बदन की उपमा के लायक है।
अमरकुमार ने तुरन्त जवाब दिया- तीन अक्षर का वह शब्द है : ‘कमल’। क- जाने से मल शब्द बनेगा – मल यानी मल। उसे दिल मे से दूर करने से मन स्वच्छ बनता है और शरीर भी निर्मल होता है । म-जाने से ‘कल’ शब्द बनता है । कल यानी कला । बल से न जीते जाने वाले लोग कल -कला से जीते जा सकते है, इसलिए वह बल से बढ़कर है । ल-जाने से ‘कम’ शब्द बनता है । उसका अर्थ है काम । काम तो सबको अपना अपना ही अच्छा लगता है न !वह है कमल का फुल जो कि चेहरे की उपमा के लिए प्रयोजित होता है- यह तो सभी जानते ही हैं ।
राजसभा मे आंनन्द के स्वर गुंजे !
सुरसुन्दरी ने दूसरी समस्यां पेश की:- ‘तीन अक्षर का एक शब्द है । पहला अक्षर जाने से जो शब्द बनेगा उसका अर्थ होगा ‘ खड़ी रही हुई ।’ दूसरा निकालने से जो शब्द बनेगा उसका मतलब होगा विधवा । तीसरा अक्षर दुर करने से जो शब्द बनेगा वह चीज अनाज में डालने से अनाज का रक्षण होता है।
जानिये अमर का जवाब अगली पोस्ट मे..