महामुनि श्री ज्ञानवर ने आंखे बंद की । अवधिज्ञान के आलोक में सुरसुन्दरी का भूतकाल पर्याय देखें । अमरकुमार को अतीत में देखा । दोनो का रिश्ता देखा…. जाना… और आंखे खोलकर रहस्य पर से परदा उठाते हुए मुनि बोले : ‘राजन, संसार में परिभ्रमण करनेवाले जीव राग-द्वेष और मोह के अधीन बनकर पाप करते रहते है; पापकर्म बांधते है…