गुणमंजरी । शुभ स्फटिक सी दीप्तिसभर देह । सुदीर्घ लोचन , प्रशस्त वक्षप्रदेश … समुन्नत भालप्रदेश पर कुष्ण पक्ष सी झूलती श्याम अलकलटे … राजकुमारी को दुष्ट तस्कर एक अज्ञात गुफा में ले आया था। जब गुणमंजरी ने अपने पिता के भेष में छुपे हुए चोर को पहचाना , तब वह चीखती हुई तत्क्षण बेहोश होकर धरती पर गिर पड़ी…