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राजा भी लूट गया – भाग 6

मालती तो नाच उठी । उसका मन आनंद से भर आया । उसे शत -प्रतिशत भरोसा था कि विमलयश ही यह कार्य कर पायेगा। विमलयश महल में आया। मालती ने विमलयश को बधाया …. ‘मालती…. तू यही पर रहना। मै राजमहल में जा रहा हुँ। महाराजा से भी ज्यादा आश्वासन की जरूरत महारानी को है ।’ ‘हां…हां …. कुमार ,महारानी…

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राजा भी लूट गया – भाग 5

राजमहल तो शमशान हो गया है। कौन किसे दिलासा दे ? सभी परेशान है…. गुमसुम है ।’ ‘फिर महाराजा ने क्या किया ?’ ‘वह मुझे मालूम नही है…. मै तो इतने समाचार पा कर तुरन्त दौड़ती हुई यहां पर आयी हुँ…. कुमार ।’ विमलयश खड़ा होकर व्यग्र मन से कमरे में टहलने लगा। मालती स्तब्ध होकर विमलयश को ताक रही…

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राजा भी लूट गया – भाग 4

महाराजा जिसे चोर का सर मांन रहे थे…. वह दरअसल में तो एक मटका था, जिसे की सफेद रंग से रंग दिया था । जैसे ही मटका हाथ मे आया….महाराजा चौक उठे । उन्होंने किनारे की तरफ नजर उठायी तो कुछ भी दिखता नही था। तुरन्त महाराजा तैरते हुए लौटे किनारे पर। तो वहां न तो धोबी था…. न ही…

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राजा भी लूट गया – भाग 3

महाराजा अश्वारूढ़ हो कर वेग से सरोवर के किनारे आ पहुँचे । इतने में तो धोबी दौड़ता हुआ औऱ कापती आवाज में बोला : ‘महाराजा, चोर आया था… मै चिल्लाया तो वह डर के मारे सरोवर में कूद गया… देखिए… दूर दूर तक वह तैरता हुआ जा रहा है… उसका सर भी नजर आ रहा है ।’ धोबी कांप रहा…

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राजा भी लूट गया – भाग 2

मालती विमलयश के समीप बैठ गई । ‘गत रात्रि में महाराजा स्वयं चोर को पकड़ने के लिए अपने चुनिंदा सेनिको के साथ निकले थे । उन्होंने किले के चारो द्वार पर सशस्र सैनिको की चौकी बिठाई थी…. और खुद पूर्व दिशा के मुख्य दरवाजे पर शस्रसज्ज होकर खड़े रहे थे। पहला प्रहर पूरा होने की तैयारी थी, की एक आदमी…

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