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नया जीवन साथी मिला – भाग 7
विमलयश की कीर्ति कौमुदी बेनातट के समय राज्य में फैली ही, पर आस पास के राज्यो में भी उसकी प्रशंसा होने लगी। उसका यश फैलने लगा। सावन के भरे भरे बादलो की भांति विमलयश की उदारता बरसती रही। दयाकरुणा का प्रवाह बहता रहा। साथ ही साथ राजकुमारी गुणमंजरी का स्नेह भी बढ़ता जा रहा था। कोमाय के तेज से देदीप्यमान…
नया जीवन साथी मिला – भाग 6
विमलयश का उज्ज्वल यश फैलने लगा। सबकी जबान पर विमलयश के गुण गाये जाने लगे। राजसभा में विमलयश की प्रशंसा होने लगी थी। राजकुमारी अपने हदयवल्लभ की प्रशंसा सुनकर झूमती है… खुश हो उठी है । उसका प्रेम दिन ब दिन गहरा औऱ गाड़ा हो रहा था । चुंगी से मिलने वाला सारा धन वह गरीबो को बाट देता है…
नया जीवन साथी मिला – भाग 5
रात का तीसरा प्रहर ढलने लगा था….. । शाम के जले दिये धीरे-धीरे मद्धिम हुए जा रहे थे …. विणा के सुर भी सिमटते सिमटते शांत हो गए । सुरो की अनुगूँज अब भी आस पास को आंदोलित बना रही थी । विमलयश ने वीणा को यथास्थान रख दिया और जमीन पर लेट गया । अक्सर वह इतनी रात गये…
नया जीवन साथी मिला – भाग 4
विमलयश की विणा आज जैसे पागल हो गई थी ।गगन के गवाक्ष में चांद को मिलने के लिए बेतहाशा होकर स्वर का पंखी पंख फिलाये ऊपर ही ऊपर चढ़ा जा रहा था । विमलयश की नजर अचानक अपने झरोखे के निचे गई । उसे लगा कोई मानव आकृति खड़ी है ….। अरे अभी इस वक्त आधी रात गये को यहाँ…
नया जीवन साथी मिला – भाग 3
विमलयश की हर एक अदा पर राजकुमारी गुणमंजरी जूम उठी उसकी हर छटा पर वह नाच उठी। उसका मनपंखी तो कभी का विचारो के तिनके चुनचुन कर ख्यालो का सुंदर सलोना महल रचाने लग गया था । मालती विणा ले आयी । विमलयश ने विणा को उत्संग में रखी । और ….स्वरांकन की मधुरता को अद्भुत लय में ढालने लगा।…