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राज को राज ही रहने दो – भाग 7
राजा के शरीर मे रहे हुए कुबडे ने रानी से कहा: देख, तेरा यह तोता अभी जिंदा हो जाएगा….पर तब तक मेरा शरीर निष्प्राण होकर पड़ा रहेगा…. तू उसे संभालना । एकाध प्रहर के बाद में अपने शरीर मे वापस लौट आऊंगा ।’ ओह…. यह तो काफी गजब है ! क्या आप खुद यह चमत्कार कर दिखाएंगे क्या ? ‘…
राज को राज ही रहने दो – भाग 6
हजारों ब्राम्हण इस दनशाला की प्रशंसा सुनकर दूर दूर से वहाँ आने लगे। विप्र देह में रहा हुआ राजा मुकुंद भी एक दिन अपनी नगरी लीलावती की दनशाला मे चला आया। उसका मन काफी उदास था। मंत्री ने उसके पैर भी धोये एवं आधा श्लोक बोला: वह सुनकर राजा चोका और उसने जवाब दिया :” कब्जोयं जायते राजा, राजा भवती…
राज को राज ही रहने दो – भाग 5
कुबडा राजा की भांति जीने लगा। इधर राजा के पछतावे का पार नही है..पर अब उसकी सही बात को भी माने कौन ? कोई सबूत तो था नही ? वो राजा बेचारा ब्राम्हण के वेश में परदेश को चला गया। उधर एक बार रानी ने राजा बने हुए कुबड़े से पूछा ‘स्वामिन, आपका वह कुबड़ा क्यो नही दिख रहा है..आज-कल…
राज को राज ही रहने दो – भाग 4
एक दिन राजा घुड़सवारी करता हुआ कुबड़े को साथ लेकर जंगल में शिकार करने गया। जंगल मे किसी ब्राह्मण का शव पड़ा हुआ था। राजा ने वह शव देखा। राजा को ‘परकाय प्रवेश’ विद्या का प्रयोग करने की इच्छा हुई। उसने कुबड़े से पुछा: ‘बोल’ मंत्र की महिमा तू सचमुच मानता है या नही ? ” नही महाराजा, में किसी…
राज को राज ही रहने दो – भाग 3
रतनजटी ने कहानी शुरू की : लीलावती नाम की नगरी थी। राजा का नाम था मुकुन्द एवं रानी का नाम था सुशीला। एक दिन राजा मुकुंद अपने राज पुरुषों के साथ जंगल में सेर हेतु गया था। जब वो वापस लौटा तो रास्ते मे नगर के दरवाजे पर एक कुबड़े आदमी को नाचते गाते हुए देखा। राजा उसे अपने महल…