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कौन था वो इंसान या फरिश्ता?

शाम ढल रही थी रात हो रही थी रस्ते पे अंधेरा कायम हो रहा था । मोटर साइकल गाडियो का आवागमन जोरदार था । बिजली का प्रकाश भी नही आता था जहाँ मोड़ था बिजली का पोल पुल के दूसरी ओर था। उस मोड़ अचानक से एक वृद्ध गाड़ी के चपेट में आ गया और उसके मुख से आह निकली। और वह पुल से साइड में गिर गया। दर्द की भयंकर पीड़ा से वो तड़प रहा था। बहुत समय प्रसार हो गया।

आवागमन तो लगातार चालू था। एक साइकल वाला वहा से निकला। उसने आवाज़ सुनी की कोई गिरा है पर जल्दी में होने के कारण वो चले गया एक सेठ की लक्ज़री कार निकली पर उन्हें कोई आवाज़ तक सुनाई नही दी।

2 प्रोफेसर वहा से निकल रहे थे दर्द भरा आवाज़ सुना और बोला की कोई गिरा है ऐसा लगता है और आगे चल दिये।

कॉलेज के 2-3 students वहा से निकले पर उस वृद्ध की ओ बापरे की आवाज़ उनके 🏻कान में नहीं गयी वो तो अपनी मस्ती में मस्त हो कर चले गए। वृद्ध सड़क की साइड में खून में लथ पथ होकर पड़ा था।

एक ऑफिसर निकला उसे लगा की कोई पड़ा है। ऐसा बोलता वह भी चला गया।

मजदूर निकले उन्होंने सुना की कोई दर्द से तड़प रहा है और वो भी आगे चले गए।

एक C.A वह से निकला पर वह अपने क्लाइंट के साथ डिस्कस में ही मशगूल था। उसके कानो तक भी उसकी आवाज़ नही पहुंची।

फिर वहा से एक युवान निकला उसने देखा किसी की आवाज़ आ रही है। उससे रहा नही गया उसने वहा से जाने वाले पुक रहागीर से माचिस ली। वहा प्रकाश करा उसने देखा की एक वृद्ध खून में लथ पथ होकर पड़ा है। उसे उठाया अस्पताल ले गया भर्ती करवाया। उसके बाद उसे संतोष हुआ फिर वह अपने घर की ओर चल दिया। यह युवक समाज की पढ़ी लिखी अग्रणी पीढ़ी में से नहीं था।

कोई करोडपति या अद्योगपति भी नही था। समाज में उसकी कोई प्रतिष्ठा भी नही थी अरे वो तो एक किसान का बेटा था। जिसके पास दिल में दया थी मानवता के गुण से ओत प्रोत था। अरे वही एक सच्चा मानव था। जो हर वक़्त मदद के लिए खड़ा हो उसे ही मानव कहते है।

” बहुत से लोग अपने दुखो के गीत गाते है।
होली हो या दीवाली हमेशा मातम बनाते है।
पर दुनिया उन्ही की रागनी पर झुमती है
जो जलती चिता पर बैठकर वीना बजाते है।”

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