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उदारता की सुगंध पुरे समाज को सुगंधित करती है

जीवन के हर एक राह में स्पीड ब्रेकर होते है। प्रवास में स्पीड ब्रेकर को देखकर हम प्रवास को नही रोकते है। बस ऐसा ही उदारता का प्रवास है जिसमे दुश्मनी के ब्रेकर देखकर रुकना मत।

ऐसा ही एक किस्सा मुझे याद आ रहा है।

शाम हो रही थी एक मुस्लिम युवती मुजदूरी कर के घर की तरफ आ रही थी। आस पास का रास्ता एक दम सुनसान था। एकाद आदमी 5 से 7 मिनिट में पसार हो जाता था।

अचानक से उस रास्ते पर एक सीटी की आवाज सुनाई दी। रूकसार के पेर रुक गए। श्रण भर के लिए वह चमकी इतनी देर में 5 सात सीटिया की आवाज़ आयी। उसने उस दिशा में देखा। पांच गुंडे जैसे आदमी एक झाड के पास खड़े थे । और उनमे से एक बोला

मेरी जान! आती है क्या ?

रूकसार डर कर दौड़ने लगी। पांचो उसके पीछे दौड़ने लगे। उसे पकड़कर गिरा दिया। कपडे खीचने लगे। रूकसार चिल्लाने लगी। बचाओ बचाओ की आवाज़ लगाने लगी पर उस सुनसान इलाके में कौन सुनेगा।

रूकसार पर पांचो जबरजस्ती कर रहे थे इतने में एक वृद्ध बूढ़ा वहा से साइकल लेकर प्रसार हुआ। उसने आवाज़ सुनी और वह गुंडे की ओर भागा। उस वृद्ध ने ललकरा नराअगमो इसे छोड़ दे नही तो तुम्हारी एक की भी खेर नही है।

पांचो युवान चोक गये जहाँ रूकसार की इज्जत लुटाने की तैयारी में थी और वह वृद्ध आ पहुंचा। गुंडे के हाथो में से छूटकर वह बूढ़े के पीछे जा पहुंची। दादा मुझे बचा लो परन्तु दादा का चेहरा देख कर वह नर्वस हो गई। दादा की हालात कुछ ऐसी ही थी। रूकसार को देखकर वह भी आश्चर्य चकित हो गये।पर खुद को स्वस्थ करके बोले- बेटा तू चिंता मत कर मै तेरा बाल भी बाका नही होने दूंगा।

बूढ़े के शब्दों को सुनकर पांचो गुंडे हँसकर बोले बूढ़े तुझे शायद ऊपर जाने की जल्दी है चल छोड़ दे वरना अच्छा नही होगा। चल छोड़।

वृद्ध पुराने ज़माने का आदमी था वह कुछ भी बोला नही। मजदूरी करके मजबूत बना था। उसने सायकल की चैन खीचकर निकाली और पांचो पर टूट पड़ा। और मार कर पांचो को सीधा किया। रूकसार को घर पहुँचाया। पांचो को हवालात पहुँचाया।

रूकसार को सुरक्षित घर पर छोड़कर वृद्ध अपने घर जाने के लिए निकलते बोले- बेटा मै जाता हूँ कुछ तकलीफ़ हो तो याद करना।

शब्दों के साथ ही रोने लगी बात कुछ ऐसी थी की 6 महीने पहले रूकसार के पति मोहसीन और वृद्ध के बेटे महेश में जोरदार झगडा हुआ। और मारा मारी में मोहसीन ने महेश को चाकू मर दिया और वह मर गया।

खुद के बेटे के हत्यारे की पत्नी को बचाया था इसलिए शुरुआत में दोनों एक दूसरे को देखकर आश्चर्य और आघात को पाये थे।

रूकसार ने रोते-रोते पूछा बाबा मै तो आपके बेटे के हत्यारे की पत्नी हु तो फिर अपने मुझे क्यों बचाया?

वृद्ध ने कहाँ बेटा दुश्मन भी जब मुश्किल में हो तब उसे बचाने इतनी उदारता तो सब में होना चाहिए। हम अगर उदार नही बनेगे तो पृथ्वी टिकेगी ही नही। तू मेरे बेटे के हत्यारे की पत्नी बाद में है पहले मेरी बेटी है।

जीवन में जब भी उदारता बताने को आये तू किसी की भी भूल, दुश्मन सब कुछ भूल जाना चाहिए।

तभी उदारता की सुगंध पुरे समाज को सुगंधित कर सकती है।

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