एक जैनी व्यापारी जिसकी शहर के बड़े बाजार में दवाई की दुकान थी और उस पर ईश्वर की बड़ी कृपा थी। बड़ा ही अच्छा व्यापार चल रहा था जिस कारण से आस पास के दूसरे दुकानदार उससे बड़ी ईर्ष्या रखते थे। एक दिन सुबह व्यापारी ने अपनी दुकान खोली अगरबत्ती लगाई और नोकर को थैली से LED लाइट वाली लड़ी निकाल कर दी और कहा इसे दुकान के बाहर लगा दे। फिर उसी थैले से फूलो की माला निकाली नौकर को कहा इसे भी लगा दे और खुद ने भी दुकान के मंदिर में माला चढ़ाई और फिर नौकर को बोला अब तू दुकान वापस बढा़ दे। नौकर ने मालिक की तरफ आश्चर्य से देखा और दुकान बढ़ाने लगा इस को देख पास वाला व्यापारी आया और उसने पूछा “जैन साहब आज तबियत ठीक नहीं है क्या ? सुबह सुबह दुकान बढ़ा रहे हों।”
जैनी व्यापारी ने जो उत्तर दिया वो यह था:- भाई आज हमारे “तीर्थंकर देव भगवान् श्री महावीर स्वामी जी का जन्मदिन “का पवित्र अवसर है। आज भगवान् श्री महावीर की शोभा यात्रा निकलेगी, और मै और मेरा पूरा परिवार भी यात्रा की तैय्यारी करके शामिल होऊँगा,फिर शाम को महावीर स्वामी की भक्ति में भी सम्मिलित होऊंगा,इसलिये दुकान बंद रहेगी। दुकान का लड़का शाम को लाइट चालू कर जायेगा। भाई आज महावीर जयंती जैनियो की सबसे बडा पर्व है।
दूसरा दिन जैनी व्यापारी दुकान खोलने पहुँचा तो देखा दुकान खोलने से पहले से ही ग्राहक खड़े है उसने दुकान खोली फिर ग्राहक निपटा कर देखा वो पड़ोसी दुकानदार आया और बोला जैन साहब कल तुम दुकान बंद करके जो गए तो पूरे बाजार की रौनक ही लेकर चले गए तुमने कम से कम सेवा तो कमाई नाम तो कमाया । हम तो जैसे आये थे वैसे ही गए! जैनी व्यापारी ने भगवान श्री महावीर को हाथ जोड़ कर अपने काम में लग गया और उस दिन उसे दुगुनी आमदनी हुईं। प्रभु की कृपा से सबका
बेड़ा पार है ।।
जय जिनेन्द्र।।
जिय महावीर ।।