हर इन्सान के जीवन मे समस्या आती है। बीना समस्या के इन्सान का जीवन निखर ही नही सकता है। समस्याओ के बीना जीवन का महत्व भी समझ मे नही आता। जीवन की किमत तो समस्याओ से निपटने के बाद पता चलती है। इस दुनिया मे एक भी इन्सान ऐसा नही होगा जिसको तकलीफ नही आई। इन ही तकलीफो से लडते लडते वह सफल बन जाता है। और जब भी हम समस्या से घिरे हो तो हमे हमसे भी ज्यादा दुखी इन्सान को देखना चाहिए और परमात्मा की कृपा को मानना चाहिए कि इतना कष्ट मेरे पे नही आया। और वह इन्सान इतने कष्टो से भी लड रहा है। धन्य हो उसके जीवन को।
एक समय की बात है। जब सौराष्ट्र मे अकाल पडा था। लोगो को पीने का पानी भी नही था। पशुओ को खाने की घास भी नही मिल रही थी। अनाज के भण्डार खाली हो रहे थे। धरती फट रही थी। सुर्य महाराजा आग बरसा रहे थे। इस सारी प्राकृतिक समस्यो से सौराष्ट्र का किसानऔर ग्वाला भयंकर पीडाओ से पीडीत हो गया। खाने को अनाज नही। खातो मे धन नही। अब क्या करना ? बिमारी रोज- रोज नई फैल रही थी। पशु बीमार और भुखे प्यासे मर रहे थे।
गाँव मे एक नवयुवक था। प्रभात घर की सारी जिम्मेदारीया उसी के कंधे पर थी। इस अकाल के कारण एक भयंकर हादसा हो गया। उसका जीवन पशुओ पर ही निर्भर था। पशु उसका धन नही थे। पशु तो उसके जीवन साथी थे। और ऐसे मे 10 गाय- भैस की अकाल मृत्यु हो गई। जिसका भयंकर आघात उसे लगा था।
गाँव मे एक वडील काका उसे समझा रहे थे। प्रभात जो भी हुआ वह बहुत गलत हुआ। पर बेटा तुझे हिम्मत तो रखनी पडेगी। इस विकट समस्या से लडना तो पडेगा ही। हिम्मत के साथ आगे बढ़। कुदरत सब कुछ अच्छा करेगी।
प्रभात ने हिम्मत के साथ जवाब दिया- की काका यह गाय- भैस मेरी जायदाद नही मेरे स्वजन थे। पर मेरे ताऊ के दुख के आगे तो मेरा दुःख नगण्य है।
मेरे ताऊ के ऊपर तो अभी दुःखो का पहाड़ तुट पडा है। उनके तो सारे पशु मर गए है। उनकी तो बेटी और पत्नी भी गुजर गये है। उनके दुःखो के पहाड़ को जब मै देखता हूँ तो कुदरत को धन्यावाद देता हूँ कि कुदरत ने मेरे पेर दया करी है।
इस घटना से हम बहुत कुछ बोध प्राप्त हो जाता है। जब हम दुनिया के दुःखो को देखते है तो सामने हमारा दुःख तो कुछ भी नही है। दुसरा व्यक्ति हमसे कई गुणा ज्यादा समस्याओ से घिरा है। फिर भी वह लड रहा है। उसके सामने मेरी समस्या तो कुछ भी नही है। इस विचार से हमे उस कष्ट से लड़ने की शक्ति मिल जाती है।
कभी भी समस्याओ हे भागो मत। उनका सामना करोगे तो ही समस्या स्वतः आप से दूर भाग जाएगी।