एक परिवार मे सास और बहू रहते थे। मान्यता के अनुसार सास और बहू के बीच मे बहुत झगड़े होते थे। खुद के घर की लक्ष्मि गिनाती पुत्रवधु सासुमा की आखो मे कण की तरह चुभती थी। सासुमा को एक विचित्र डर था की यह बहुरानी मेरी संपुर्ण सत्ता को छिन लेगी और इस डर के कारण ही वह कभी भी बहु को अपना नही पायी थी।
जनरेशन गेपिंग ( Generation gaping) के कारण पुत्रवधु और सासुमा मे मनतान्तर होते थे। परन्तु बहु समझदार थी वह घर की जवाबदारी का बखुबी निर्वाह करती थी। सभी को संभालती थी। होशीयार थी। लगणीशील थी। पर सासुमा को कतय पसंद नही थी।
हर एक बात मे सासुमा बहुरानी की गलती निकालती रहती। सुबह से शाम तक उसकी गलतीया ढूढने मे निकाल देती थी। फिर छोटी सी भूल को राई के पहाड जैसा कर देती। पर इसकी इसी बुरी आदत उसका बेटा और पति भी उसको समझा नही सकते थे।
एक दिन सासुमा को बहु पर खुब गुस्सा आया और क्रोध के आवेश मे एक परिचित वैध के पास गयी। उससे बहु को मारने के लिए जहर की पुडिया माँगने लगी। वैध बहुत अनुभवी थे। उन्होंने दावा देने से पूर्व एक शर्त रखी और कँहा की मै धीरे धीरे असर करने वाली जहर की दवा देता हूँ। परन्तु यह धीरे धीरे असर करती है। पर यह दवा जब भी बहु को दो तब से तुम बहु पर गुस्सा नही करोगी। उसके साथ प्रेम और स्नेह का स्वभाव रखना। उसकी भुलो को माफ करना नही तो बहु जब भी बिमार पडेगी तब तुम्हारा नाम आएगा। सासुमा समझ गयी और दवा की पुडिया लेकर वो घर आई और बहुरानी के साथ प्रेम से रहने लगी। उसके साथ खाना खाने लगी। गुस्से का नामुन निशान घर मे से गायब हो गया। दो- चार माह प्रसार हो गये। घर मे चारो ओर सुख शांति अमन चेन का वातावरण हो गया और सासुमा रोज वो पुडिया खाने मे डाल देती थी। परन्तु समय के साथ प्रेम का झरना बहने से नफरत का बीज प्रेम मे बदल गया। सासुमा को पुत्रवधु मे बेटी दिखाने लगी और बहू को सासुमा मे माँ की ममता नजर आने लगी।
सासुमा गुस्सा होना तो भूल ही गयी। दोनो के बीच मे बोलाचाली तो बिल्कुल बंद ही हो गई थी। घर मे सभी लोग इस बदलाव से बहुत खुश थे।
अब सासुमा के ह्दय मे पश्चाताप के आसु बहने लगे। वह दौडती हुई उस वैध राज के पास जाती है और बोलती है कि – वैध जी कैसे भी करके मेरी बहु को बचालो। मै उसे नही खोना चाहती हूँ। वह तो मेरी बेटी है। जहर वाली दवा का उपाय करो।
वैध जी बोलते है- चिंता मत करो बहन जी! उस दवा मे जहर नही था। जहर तो आपके दिल मे था जिसका निवारण स्नेह के झरने के फूटने से हो गया। आपकी बहु को कुछ नही होगा।
वह वैध का बडा आभार शुक्रिया मानती है और खुशी खुशी घर चली जाती है ।
” जीवन मे सपनो के लिए कभी भी अपनो से दुर मत होना
क्योंकि
अपनो के बिना जीवन मे सपनो का कोई मोल नही होता ।”