सरदार आपको नौकरी में रखने में आता है और 500 पाय दल के सैनिको के नायक के रूप में नियुक्ति की जाती है ।और राज्य की तरफ से ये पोषाक और बक्षीस को स्वीकारो। यह बात पेशवाने उमंग भरे स्वरो में बोली।पठान आदर पूर्वक बोला माननीयवर आप मुझे नौकरी देते हो उसके लिए आपका आभार परंतु आप जो बक्षीस दे रहे हो उसका में स्वीकार नही कर रहा हूँ मुझे माफ़ करना। अभी तो में आपकी नौकरी पर आया ही नही एक भी दिन का मैंने कार्यभार संभाला नही तो फिर यह बक्षीस में किस बात की लू। यह बक्षीस तो बिना हक़ की है और मै बिनहक की बक्षीस नही लेता हूँ। पेश्वा बोले इस बक्षीस के बदले तुम मेरी सेवा तो करने ही वाले हो तो फिर यह बक्षीस बिना हक़ की कैसे हो सकती है? इसके बदले तुम मेरी सेवा करना।
सरदार ने जवाब दिया माफ़ करना हुजूर। गुस्ताखी माफ़ हो पर मै बिना सेवा करे मै किस मुह से आपकी बक्षीस का स्वीकार करू। ऐसा करने से मेरी खुमारी मुझे रोकती है।
पेश्वा ने फिर कहा की मै खुश हो कर तुम्हे बक्षीस दे रहा हूँ। हमारी बात का मान रखना यह भी तुम्हारा फर्ज है।
सरदार ने विनम्रता के साथ कहाँ की मालिक की मेहरबानी जब बिना कारण के हो तो मेरे जैसे सेवक की इज्जत पर दाग लगाने का कार्य करती है। माफ़ करना हुजुर अब मुझे आपकी नौकरी भी नही करना है। पेश्वा ने आश्चरिय चकित हो कर के पूछा सरदार नौकरी नही करने का क्या कारण है।
सरदार ने बड़ी विनम्रता से कहा की हुजुर मेरे उस्ताद ने मुझे जीवन ख़ास उपयोगी बाते सिखाई है। और बिना कारन की मेहरबानी इंसान को मौत के दरवाजे तक पहुंचा देती है। इस संसार में जो बी कुछ हो रहा है उसमे कही न कही कुछ तो कारण रहा होता है। तभी इस संसार में छोटा सा कार्य भी हो पाता है।
पेश्वाने कहा एक लडाकू पठान की बात में मुझे योगी संत की बात सुनाई दे रही है। मुझे इस बात को थोड़ी और विस्तार से समाझाओ ताकी मै इस को समझ सकू।
सरदार बोला आम बोने वाले को ही केरी का फल मिलता है। बबुल बोने वाले को काटे ही मिलते है। कुदरत भी कारण बिना कोई कार्य नही करती है। कारण बिना के कार्य अकुदरती है। अकुदरती कार्यो में हमेशा आफद रूप ही होते है। आज आप मुझे बिना कारण के बक्षीस दे रहे हो और कल आप ही बिना कारण मेरी गर्दन कलम करने के लिए तैयार हो जाओगे। कार्य के बदले में दी गयी बक्षीस इंसान में जोश को भारती है। और बिना काम के दे गयी बक्षीस इंसान में अहंकार को पैदा करती है ।
सरदार की बात को सलाम करते हुए पेश्वा बोले की तुम्हारी हिम्मत और खुमारी को कोटी कोटी प्रणाम है। तुमने तो आज मेरी आखे खोल दी है। भविष्य के राज्य शाशन में आपकी सलाह खूब उपयोगी होगी। तुम्हारी इन बातो में तो राज्य का सम्पूर्ण सुशाशन छिपा है।
पठान नौकरी को अस्वीकार कर के खुमारी के साथ उनसे बिदाई ले कर के आगे की और चल दिया।