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जीवन बदलता है तो बेटे के हत्यारे का भी भला करता है

एक जमाने मे यूसुफ नाम का एक प्रसिध्द सोदागारो गया। उसके पास अपार धनधान्य और संपत्ति का भंडार था। और अपना जीवन एक दम खुशी व्यतित कर रहा था। उनका एक ही लडका था। और समाज मे पैसे के कारण बहुत प्रतिष्ठित थे। पर उनके स्वभाव के कारण सभी कंटाल गए थे। और अत्यंत क्रोधी और अलग प्रकृति के थे।

युसुफ हजरत मोहम्मद का उपदेश सुनने नियमित जाते थे। मोहम्मद साहब के प्रभाव से इतना ज्यादा आ गया था कि उनका स्वभाव मे धीरे धीरे परिवर्तन होने लगा । उनके परिवर्तित स्वभाव और विचारो की परीक्षा लेने के लिए कुदरत ने शायद खुद ने चक्र चलाया और और उसके शांतियम जीवन मे अचानक मे कुछ  ऐसा हुआ कि उनके एक ही एक  लडके की किसी ने हत्या कर दी। युसुफ ने हत्यारे की बहुत तलाश करवाई और खुद ने भी बहुत तलाश की और सफलता नही मीली।

एक रात संजोगवश हत्यारा युसुफ के द्वार पर आ गया और विनंती करते बोला-  मुझे चोरो तरफ से भगा दिया गया और सभी लोग मुझ पर थू थू कर रहे है। कोई मुझे खडा तक होने नही दे रहा है। आज की रात मुझे यहा आसरा दे दो। भटक भटक कर थक गया हूँ।

युसुफ ने मिठा अवकार दिया और कहाँ – भाई इस घर को अपना ही मान लो और अपना समझ कर रहो। मेरा घर ईश्वर ने दिया है इसलिए शांति से यहा रह और आराम से सो जा। और वह सो गया।

सुबह जब वह जाने लगा तब युसुफ ने उसके  जीवन निर्वाह के लिए सोना मोहर तथा खुद का घोडा देकर विदाई की।

इतना अच्छा और सहाकार भाव वर्तन देखकर हत्यारे का दिल पिघल गया। हचमच गया। उसका दिल मोम की तरह पीघल गया। और बोला – मै ही आपके लडके का हत्यारा श्ब्राहिम हूँ। ये पापी हाथ आपके बेटे के खुन से रंगे हुए है।आप मुझे कठोर से कठोर सजा दे मै उसी के लायक हूँ।

पर अब तो युसुफ पुरी तरह से बदल गया था। उन्होंने कहा तु मेरे पास से और ज्यादा धन ले जा पर एक बार तू हमेशा याद रखना की तू कभी भी इस तरह मत आना।

युसुफ ने सोचा कि आज ईश्वर ने मेरी धीरज की कसोटी करने के लिए ही मेरे बेटे के हत्यारे को मेरे पास भेजा। होने का हो गया। अब क्षमा देने मे ही मेरा धर्म है।

उन्होंने हत्यारे को जीवन दान दिया और वहा से रवाना कर दिया। उनका मन अजब संतोष की अनुभूति कर रहा था।

अपकार के बदले उपकार देने वाले को आत्मिक आनन्द की अनुभूति होती है ।।

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