मेरे जीवन की नगरी को जब मै निहारने जाता हूँ बहार निकलना और एक गली के नाके पर खड़ा रहकर एक लेटेस्ट स्लोटरिंग हाउस के मार काट के दृश्यों को देखकर में डर जाता हूँ।
जिस मुल्यवान पलो में साधना का अमृत घुटना है उस मूल्यवान पलो में शास्वत सुख को एकत्रित करना है। उस पल रूपी ब्यूटी पार्लर में बैठकर अनंत सौंदर्य की प्राप्त करना है।
अरे इस रूपी घोडे पर सवारी करके मुक्तिपुरी की तरफ दौड़ लगानी है। पर यह सारे लक्ष्य मेरे एक साइड में रह जाते है। जब में इस पर नज़र डालता हूँ तो भयंकर रूप से डर जाता हूँ।
अरे मेरे यहा तो दृष्ट – पुष्ट बकरो एक बहुत बड़ी लाइन में जीवन की नगरी में लगी है।
फिर यह प्रमाद रूपी यांत्रिक कत्तलखाना start होता है। और उसमे समय रूपी बकरा fit हो जाता है।
और फिर उस समय के मुख में से दारुण आवाज़े निकलती है। और उस पेड़ में से जो साधना का अमृत का सर्जन होने वाला था वह खून बनकर के ढुल जाता है।
अरे इसी प्रमाद के कारण शुद्ध पूण्य मास के लोगो में बदल जाता है।
“आत्मस्थैर्थ ” की अस्थियो का बहुत बड़ा ढेर लग जाता है।
श्रद्धा रूपी चमड़ी को उतारकर एक side में फेक दिया जाता है।
और उस समय के बकरे की हालत वो था से नही था जैसा हो गया।
मेरे जीवन की नगरी के अंदर इस स्लोटरिंग हाउस में एक के बाद एक समय रूपी बकरो को हलाल करने ये प्रमाद रूपी यंत्रो कोई कसर बाकि नही रखता है। और इस यंत्र में मेरा सारा का सारा गुण वैभव नष्ट हो जाता है।
आरे ,परमात्मा निर्गुणी को भी तार सकते है पर मेरे पास life time ही नही बचेगा तो मै उस तरने के सुनहरे मौके को कैसे उठा पाउँगा?
अगर आपने ये प्रमाद रूपी स्लोटरिंग हाउस को बंद नही करा तो मेरे समय रूपी बकरो की हत्या हो जायेगी। मेरे विनाश की कहानी लिखी जायेगी।
“खून की नदिया बहने लगेगी
साधना का अमृत ढूलने लगेगा
संवर के लोचे बिखरने लगेंगे
शुद्ध पूण्य की चर्बी लूटा जायेगी
आत्मस्थैर्थ डगमगाता चले जायेगा”
श्रद्धा की चमड़ी उतर जायेगी
इस भयंकर घातक कतलखाना मेरी सुसज्जित जीवन नगरी में without लॉयन्स के खुल गया है ।
प्रभु……………
अब आप ही कुछ ऐसा करो जिसके कारण इस स्लोटरिंग हाउस पर इमरजेंसी ताला लग जाये और मेरी सुसज्जित जीवन नगरी विरान (तह्स – नह्स) होने से बच जाये। और मेरे समय रूपी बकरे निश्चित होकर के अपनी आत्म साधना में आगे बढ़ने में मेरा मार्ग प्ररास्त करे। बस आप इतनी सी मेरी विनती को स्वीकार के इस पर lock लगाओ।