आप की आज की दशा :
सभा : माता पिता की बहुत सेवा करें उनका कहांं माने तो लोग माता-पिता का आदर्श बेटा कह कर चुटकयां लेते हैं।
कह दूं? लोग आपको मां बाप का आदर्श बेटा कहे वह अच्छा की जोरू का गुलाम कहे वह अच्छा? आपकी पत्नी को खुश करने के लिए आपने आत्महित को किस हद तक का घायल कर दिया है यह इस प्रश्न से समझा जा सकता है माता-पिता को संतुष्ट करने के लिए आप अपने स्वार्थ का गौण करो विचारों को जीतो वैसे भी बाजार में, ऑफिस में , दुकान में, कारखानों में हर जगह आप अपने विचारों को मारते ही हो । स्वयं अपने पुत्र पुत्री आदि के सामने भी अपने विचारों को मारते हो। तो इस बारे में क्यों पीछे हटते हो?
सभा: पत्नी न माने तो घर में झगड़े होंगे।
झगड़ा क्यों करेगी ?आप विवाह करके लाए तब कहकर ही लाए होंगे कि मेरे लिए मेरे माता पिता पहले, फिर तू। पहले उनका ध्यान रखूंगा, फिर तेरा। उनके हृदय को ठेस पहुंचे,ऐसी कोई बात या काम तुझसे नहीं होना चाहिए। तू करेगी तो भी उसे मानने अथवा करने के लिए मैं बाध्य नहीं।
किंतु आज परिस्थिति काफी खराब है आप नामर्द स्तर के हो गए हो। इसलिए वह विवाह से पहले ही अपना रंग आप पर चढ़ा देती है अलग रहने की शक्ति है? और आप भी उसकी बातों में आकर बोल देते है हां बहुत शक्ति है। तू आ और फिर देख! तुझे अलग होकर दिखाऊंगा। यह कहकर आप अपनी बहादुरी बताते है यह बहादुरी है कि बुज़दिली है! बात अपनी व्याख्यान सुनने के लाभ की चल रही थी।
सभा: आज तो माता-पिता ही कहते हैं कि व्याख्यान सुनने नहीं जाना!
इस बात में दम नहीं है आप अपने व्यवहार उनके अनुरूप अनुकूल बनाओ तो वे कभी ऐसा नहीं बोलेंगे और न हीं सोचेंगे।
माता पिता के अनगिनत उपकार है उनकी कोई गणना नहीं हो सकती।उपकारो को आंखो के सामने लाना। माता को जो मान्य न हो, ऐसा कोई कार्य, किसी का कार्य न करें। माता पिता को जो मान्य हो, ऐसा कोई भी काम, किसी का भी काम अवश्य करें। माता पिता किसी के साथ बातचीत करते हों तब बीच में पड़कर उनकी बात न काटें, बीच में न बोले। उनसे ज्यादा मैं जानता हूं – ऐसा प्रदर्शन करने की कोशिश न करें, ऐसा दर्शाने के लिए बीच में न बोल पड़े , स्वयं को माता पिता से अधिक होशियार व जानकार प्रदर्शित करने का प्रयास ना करें।