एक विद्वान लेखक कीटो जो की प्राचीन अंग्रेजी साहित्य के अमर साहित्यकार थे। 19 वर्ष की उम्र मे ग्रीक, लेटिन, प्राचीन अंग्रेजी भाषा के जानकार विद्वान लेखक तरीके विख्यात यह विद्वान का जीवन भयंकर विडंबनाओ से भरपूर था। कीटो बाल वय मे ही अनाथ हो गये थे। दोनो कानो मे बहरापन भी आ गया था। गुस्से वाली काकी की मार खाकर घोर यातनाओ को वर्षो तक सहन किया। रोज की यातनाओ से ऊबकर उन्होंने 10 वर्ष की उम्र मे घर और गाँव छोड दिया और अकेले शहर मे बस गये। शहर मे वह दिनभर मजदूरी करते थे तो उन्हे मुश्किल से खाने को मिल पाता था। कपडे तो चिथड़े हाल हो गये थे।
बालक कीटो जब स्कूल मे जाते बच्चो को देखा तो खुद को पढने का अवसर नही मिला यह बात को सोचकर हताश हो जाता था। परंतु वह दुसरो की तरह इस हताश को लेकर बैठा न रहा। वह रास्तो पर से कागज एकत्र करने लगा इस अपेक्षाओ से की जब भविष्य मे पढना सिखुंगा तो पढने मे काम लगेंगे। वह जिस छोटी सी रूम मे चार- पाँच लडके रहते थे उसमे से दो जन पढना जानते थे। उनके बर्तन और कपडे धोने की शर्त पर उन्होंने कीटो को पढना और लिखना सिखाया। उसकी लगन से वह पढना- लिखना सिख गया।
19 वर्ष की उम्र मे तो वह कीटो महान विद्वान की तरह विख्यात और प्रतिष्टित हो गया। और जगत की श्रेष्ट अंग्रेजी विश्व विद्यालय- आक्सफोर्ड विश्व विद्यालय ने छोटी सी उम्र मे ही उसका खुब सम्मान किया।
विश्व विद्यालय के अधिपति ने उनको अभिनन्दन देते हुए कहाँ की – तुम्हारा जीवन तो एक चमत्कार है।
कीटो ने विनम्रता से कहाँ की- इसमे कोई चमत्कार नही है। इसमे सिधा- सादा नियम ही काम करता है।
कीटो ने कहाँ- मै ने अपने जीवन मे कभी भी किसी भी कार्य को अशक्य नही माना।
कुलपति ने कहाँ- इससे विद्वान नही बन सकते है।
किटो ने कहाँ- मेरा अनुभव है। सतत मेहनत और पुरूषार्थ से इन्सान धारे वो बन सकता है। अब आपको क्या बनना है, इसका विचार आपको करना है ।।