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हम कितने गरीब है

एक बड़े शहर मे रहते पिता को हुआ की मेरा बेटा भव्य आलीशान महल मे रहता है। बहार की दुनिया के बारे मे इसे तो कुछ भी पता नही है। मुझे इसे बहार की दुनिया के गाँवो का रहन सहन वँहा की कष्ट भरी जिंदगी दिखानी चाहिए।

उस बेटे को गाँव का जीवन बताने के लिए और पैसे का महत्व समझाने के लिए बेटे को गाँव ले गए। वहाँ तीन- चार दिन रूके। गरिब परिवार के साथ रहने के बाद वापिस शहर लौट आए।

वापिस आने के बाद पिता ने बेटे से पूछा- बेटा तुझे गाँव कैसा लगा?

बेटे ने बड़ी उत्साह के साथ जवाब दिया- गाँव तो बहुत ही अच्छा है। वहाँ का जीवन बहुत ही सुंदरतम है।

पिता को थोडा अजीब लगा। पिता ने कहा- बेटा वहा गरिबी होती है। गरिब लोग कैसे जीवन जीते है यह तुने देखा और समझा?

बेटे ने जवाब दिया – पापा मुझे वहा कही भी गरिबी नही दिखी।  मुझे तो वहो सब जगह सम्रद्धि और सुख ही दिखा। पापा बोले बेटा तुने ऐसा क्या देखा वहाँ पर? बेटे ने कहा अपने पास यहाँ पर एक ही कुत्ता है। उनके पास पांच से सात कुत्ते है। यहाँ हमारे पास एक छोटा सा स्विमिंग पूल है। वहाँ गाँव के लोगो के पास विशाल नदी है। जो कि सदा बहार पानी से भरी रहती है। हम रात को बगीचे मे light का प्रकाश करते है। तो उनके यहाँ आकाश मे अनगिनत तारे नजर आते है। और उसका प्रकाश दिखता है। हमारी सेवा के लिए नौकर चाकर होते है और वहा गांव मे लोग प्रेम के साथ एक दूसरे की सेवा करते है। हम खाने की वस्तु बाजार से खरीद कर लाते है और वहा वे लोग खद उगा कर खाते है। अरे हम धन दौलत की रक्षण के लिए दिवाले बनाते है और उनकी धन दौलत का रक्षण निःस्वार्थ के साथ मित्र लोग करते है।

यह सारी बात सुनकर पिताजी अचम्भित हो जाते है। और बेटा आगे जाकर पिताजी को धन्यवाद देता है कि अच्छा हुआ पापा आप मुझे वहा ले गए और पता चला की हम कितने गरीब है।
“सिर्फ दृष्टि के बदलने से सृष्टि बदल जाती है।”
हमे भी हमारे नजरिये को चेंज करके जीवन मे प्रगती के मार्ग पर चलना है।।

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