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इंसान होने का फर्ज निभाओ

पटाखों का त्याग, कर्म बंध से बचाव…!

क्या कभी आपने सोचा हैं?

◆पटाखों से हमे आथिँक नुकसान के साथ-साथ शारीरिक हानि भी पहुचती है।

◆ पटाखों की धमक से गर्भवती को अनंत दुःख होता हैं।

◆ पटाखों की धमक से बेजुबान पशु-पक्षी पीडित भयभीत होते हैं।

◆ पटाखो की धमक से छोटे-छोटे जीव- जन्तु मौत के घाट उतर जाते हैं।

◆ पटाखों के कारण प्रतिवर्ष कई अग्निकाण्ड होते है व लाखों करोडों रूपयो का नुकसान होता है।

◆ पटाखों के निर्माण मे कई मासूम भोले बच्चे अपनी जीवन लीला समाप्त कर देते है और हमारे लिए पटाखें तैयार करते है।

-आप पटाखों का त्याग करते हैं तो पायेंगे-

◆ स्वच्छ-सुन्दर पर्यावरण

◆ स्वच्छ-सुन्दर गली-मोहल्ला ग्राम-नगर।

◆ रूपयों के व्यथॅ अपव्यय से बचाव।

◆ रासायनिक जहरीली गैसों व धुएं प्रदुषण से बचाव

◆ डराने सहमा देने वाले शोर- धमाकों से मुक्ति।

◆ असंख्य सूक्ष्म जीवों को जीवन-दान व पुण्यार्जन।

◆ हाथ-पैर त्वचा आदि शारीरिक हानियों से बचाव।

◆ व्यथॅ की हानि अग्निकांड व दुर्घटनाओं से बचाव

-आप स्वय चिंतन करें-

◆ क्या पटाखें फोडना हमारे लिए जरूरी है?

◆ क्या पटाखें फोडने से ही दीपावली मनाना संभव है?

◆ क्या बिना पटाखों के दीपावली नहीं मनाई जा सकती है?

◆ क्या पटाखें के जरिये हम अपने रूपयों मे आग नहीं लगा रहे है?

◆ क्या पटाखें फोड़कर हम पर्यावरण प्रदुषण नहीं फैला रहे है?

◆ क्या पटाखें फोड़ लेने से ही दीपावली की खुशिया मिलना संभव है?

◆ क्या पटाखें फोड़ने से (आतिशबाजी) से रूपयों का अपव्यय नहीं है?

जरा सोचे चितंन करे विचार करे  इस दीपावली पर पटाखों का जरूर त्याग करे

एक सोच अनोखी पहल जरा चिंतन करे ।

करोड़ो सूक्ष्म जीवों ने हमारा और आप का क्या बिगाड़ा हैं ? कुछ नहीं ना, तो हम पटाखे छोड के उन सुक्ष्म जीवो को क्यू मारे, और क्यू लाखों  भवो के वैर का बंध करें ? तो आइए आज से ही प्रण ले क़ी हम पटाखे बिलकुल ही नहि छोड़ेंगे और दिपावली आने से पहले करोड़ो जीवो को अभय दान दें।

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