हमारी आशा मजबूत है तो हम हर स्तिथि में स्वस्थ रह सकते है। अगर हमारी आशा का दीपक बुझा है तो हम स्वस्थता में भी हर जाते है। हमारी आस्था सदैव छोटे बालक की तरह होनी चाहिए। उस छोटे से बच्चे को जब भी कोई हवा में उढाता है तो वह हवा में उछलता है तो उस बच्चे के चेहरे पे हँसी ही रहती है। फिर उस बच्चे को वापिस पकड़ता हैं तो भी वो बच्चा हस्ता है। क्योंकि जब बच्चे को आकाश में उछाला जाता है तो उस बच्चे की आस्था उछलने वाले की ओर एक दम मुजबूत होती है की मुझे पकड़ेगा और उसी कारन को बच्चा हसता है। हमारी आस्था भी अगर परमात्मा पर ऐसी हो जाये तो हम भी मुश्किल समय में हस सकते है। हमे प्रभु हमारे साथ नज़र आते है। फिर हमारा रक्षण भी वो ही करते है।
आत्मविश्वास में भी हम बड़े कमजोर है। छोटी सी परेशानी में हमारा self confidence टूट जाता है। आज हम 21 वीं सदी के है। हम जिस speed से विकास कर रहे है उसी speed से आत्मविश्वास हमारा ख़त्म होते जा रहा है। जब भी हमारा आत्मविश्वास टूटता हम अपने आप depression में चले जाते है। जिस कारण से life बहुत पीछे हो जाती है एक छोटे से गांव की बात आज याद आ रही है।
एक गांव या वहा के लोग बड़े आस्थावान थे। भोली और सज्जन प्रजा थी। पर इस साल उन्हें दुकाल का सामना करना पड रहा था। बरसात नही हो रही थी इंद्र देवता शायद रूठ गए थे। गाँव के लोगो ने निर्णय किया एक दिन मैदान में सभी इंद्र देवता से प्रार्थना करेंगे। एकता से ही प्रार्थना इंद्र देवता सुनले। सारे लोग fix किये गए दिन गाँव के बहार मैदान में एकत्रित हो गए। वहा एक 25 साल का youngster छत्री ले के पहुँच गया जिस कारण सभी उसे कौतुक के साथ देख रहे थे एक वृद्ध से रहा नही गया और उसने उस नौजवान से कहा हम सब यहाँ बरसाद के लिए प्रार्थना के लिए इकट्टे हुए है और तू इतनी धुप में छाता ले कर आया है। पहले ही तो पानी नही आ रहा था।
उस नौजवान ने बड़ा अच्छा उतार दिया- हम सब यहाँ प्रार्थना करेगे और पानी आयेगा तो घर क्या गिला होते जाऊंगा। उसे खुद की प्रार्थना पर विश्वास था इसलिए वह छाता लेकर आया था। हमे खुद पर उस नौजवान की तरह आत्मविश्वास है। आत्मविश्वास विपरीत परिस्तिथि को अनुकूलता में convert कर देता है।
आशा हमारी कितनी बलवान है। हमारी आशा जैसी खुद के लिए है वैसी आशा परमात्मा पे रखी तो बैडा पार हो जायेगा। हम जब रात को सोते है तो उसके पहले next day की पूरी planning कर लेते है। मुझे कल जल्दी office जाना है। दुसरो से payment मांगना है। bank में रुपए भरना है। यह सारी कल की planning रात को ही हो जाती है। हमे यह भी नही पता होता की हम कल सुबह उठेगे या नही। पर हमारी आशा यहाँ बलवान होती है। उसी आशा से हम सोते है की सुबह उठेगे।
” उस छोटे बच्चे जैसी आस्था
गाँव के नौजवान जैसा आत्मविश्वास
हमारे खुद के जैसी आशा”
यह तीनो जीवन में आ जाये तो समज लेना की आपने life का match जीत लिया है