Archivers

प्रेम यानि हर क्षण क्षण का उत्सव

पियुष और साधना के प्रेम लग्न हुए थे। दोनो कॉलेज टाईम से love life मे पडे थे। फिर परिवार वालो की सहमति से शादी कर ली।

लग्न के बंधन मे बंधने के बाद भी दोनो के जीवन मे प्रेम उर्मियो की तरह उछल रहा था। उनके जीवन मे प्रेम उत्सव शादी के बाद भी जारी रहा था। पति को सुबह चाय का कप देते समय प्रेम उभरता नजर आ रहा था। तो पति अपना सारा काम करने के बाद रोज night मे दोनो वोक तर जाते तो कभी लाँग ड्रईव पर निकल जाते। पति के जन्मदिवस पर सरप्राइज पार्टी देती। इस तरह दोनो का जीवन प्रेम के साथ व्यतीत हो रहा था।

फिर परिवार, बालक, सामाजिक, आर्थिक जवाबदारी बढने लगी। और दोनो के अंदर से प्रेम गायब होने लगा। दोनो के जीवन मे प्रेम रूपी जल भाप बनकर उड गया था जिससे उनका जीवन सुखा बन गया था। अब दोनो एक दूसरे के साथ रहते थे बात करते थे पर आवश्यकता हो उतनी है। दोनो इस तरह के जीवन से बोर हो चुके थे। जहाँ झगड़े का नामो निशान नही था वहाँ रोज झगड़े होने लगे थे। दोनो एक दूसरे की गलतिया निकालने लगे थे। साधना का आरोप था कि तू मुझे पहले जैसा प्रेम नही करता है। तो पियुष का कहना था कि तू मेरा ध्यान नही रखती है। और इसी तरह एक दूसरे पर आक्षेप करने लगे थे।

अब दोनो के जगडे फैलने लगे थे और इसकी बात साधना के पापा के कानो तक पहुंची और उन्होंने Sunday के दिन दोनो को होटल के सिलान्ज मे ब्रेकफास्ट के लिए बुलाया। वह sunday का खुबसूरत दिन आ गया। दोनो होटल पहुंचे। पापा ने दोनो का स्वागत सत्कार करा है। बात करने लगे और फिर एक परेशानी वृद्ध युगल की ऊंगली करके कहा की मै यहा रविवार आता हूँ। यह दंपत्ति भी आते है। चाय की चुस्कियो के साथ बातचीत करते है। यह चाय की चुस्की तो बहाना लगता है। पर ये दोनो तो यहा प्रेम का उत्सव बनाने आते है।उनका यह क्रम मे हर रविवार को देखता हूँ। अब यह मेरे लिए पुराना हो गया है। इन दोनो का प्रेम भी पुराना हो गया है। पर इनका प्रेम रोज नई स्वास लेता है।

साधना के पिता ने बिना बोले वृद्ध दंपत्ति के उदाहरण से सब कुछ समझा दिया। और उनके जीवन मे जो प्रेम का रंग खिर गए थे उन्हे फिर से भर दिया। प्रेम को जीवित रखेंगे तो सब कुछ अच्छा होगा। प्रेम क्षण क्षण प्रगट होगा तो ज्यादा महकेगा और जीवन को एक ताजे फुल की तरह रखगा।

चलो करते है past का आब्सर्वेशन
April 6, 2016
उत्साह से कार्य करने वालो के चरणो मे सफलता होती है
April 6, 2016

Comments are closed.

Archivers