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दुसरो को बदलने से पहले खुद को बदलिए

किसी व्यक्ति से बदल जाने के लिए कहना बहुत सरल है। परंतु आप किसी को बदल नही सकते हो। आप अपने पिता को बदल नही सकते है। आप अपनी माता को, पत्नी को, अपने बेटे को, बेटी को, यहा तक की आप अपने बाँस को भी नही बदल सकते है। इसकी शुरुआत करीए सबसे पहले आप खुद को बदलिए। हम सभी लोगो से अपेक्षा रखते है। पत्नी मेरे अनुरूप करे। बेटे मेरे बताए मार्ग पर चले- पर इससे हमेशा हमारे ऊपर तनाव ही बढता है। इससे हम तनाव को खत्म नही कर पाते है। पर अगर इसी जगह हम थोडा सा बदलाव कर दे तो सारी समस्याओ का समाधान आ जाएगा। और वह यह है कि- हम खुद को बदले।

क्योंकि हम दुसरो को बदलने का प्रयत्न करते है तो इससे झगड़े होते है। वातावरण क्लेश मय हो जाता है। और यह कोई दुनिया मे रहने का तरीका नही है। यह तो मुर्खता पूर्ण कोशिश है जो वास्तव मे हमारा सिर दर्द बन जाती है।

और इस समस्या से बचने का एक ही अक्सर उपाय है, वह है खुद मे परिवर्तन। और यह परिवर्तन आप मे आ गया तो फिर आपकी दुसरो से कोई शिकायत ही नही रहेगी। और जब शिकायते समाप्त हो जाएगी तो जीवन सुख मय हो जाएगा।

हमे दुसरो से अपेक्षा नही रखनी चाहिए। दुसरो से हम जो चाहते है वह कार्य हम खुद को करने की आदत डालनी होगी। तो आपके घरो मे कभी भी क्लेश मय वातावरण नही होगा और घर मे स्नेह और प्रेम की सरिता बहने लगेगी।

हमे दुसरो से अपेक्षा रखने के बजाय उनके कामो मे मदद करनी चाहिए। जिससे वह भी अपने नजरिए को बदलने के लिए तैयार हो जाए। क्योंकि दुनिया का यही नियम है- अगर आप किसी की मदद करते हो तो वह भी आपके लिए मदद का हाथ बढाएगा। और अगर आप किसी से अपेक्षा रखते हो तो वह भी आपसे अपेक्षा ही रखेगा ।।

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