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चलो अपनी नसों में मानवता का रक्त भरे

लोग कहते है कि जमाना खुब बदल गया है। आज की 21वीं सदी विकृतियों को लेकर आई है। भाई भाई की हत्या करने पे भी रुकता नही है। सग्गा बेटा माँ- बाप को घर से निकालने में थोड़ा सा भी सोचता नही है। भाई बहन में पहले जैसा पवित्र प्रेम अब नही रहा। ऐसी अनेक वस्तु आज जगत में व्याप्त हो गयी है।

इन सारे दुर्गुणों का मूल क्या है?? ऐसा क्या हुआ की जगत में से एक एक करके सारी मानवीय भावना बाप्पीभवन हो रही है। कम ज्यादा मात्रा में पहले से व्याप्त दुर्गुण धीरे धीरे उनकी मात्रा बढाते जा रही है। अन्याय, अनीति, दगा, हत्या, विश्वासगात, स्वार्थ, ईर्ष्या, अभिमान जैसे दुर्गुणों का कारण एक मात्र है और वह है मानव में मानवता का अभाव मानव की नसों में धीमे धीमे घटता जाता मानवता का रक्त।।

लोग माने या न माने परन्तु इस दुनिया मे फैल रहा सारे के सारे दुर्गुणों का मूल वह मानवता का अभाव ही जवाबदार है।

जिस मानव में मानवता नही है वही जघन्य कृत्य करने को तैयार हो जाता है। जिसके ह्रदय में से मानवता के धबकारे अदृश्य हो गए है। जिसकी आँखो में मानवता की चमक झाखी पड़ गयी है, जिसके कानो मे मदद के लिए पुकारी गयी आवाज़ सुनाई नही देती है- ऐसे मानवता विहीन लोग ही समग्र जगत में फेला रहे दुष कृत्यों के पीछे जवाबदार है। जगत को अब टूटने से बचाना है तो हमको हमारी नसों में मानवता नाम के रक्त को दौड़ता करना होगा।

Short में अगर बात करे तो मानवता से ही मानव अमर बन जाता है। जो इंसान मानवता के कार्यो को करता है वह जीवन में कभी भी नही मरता है। उसकी मानवता युगों तक लोगो की जीभ पर जिवित रहती है।

मानवता तो वो हस्ती है जो मिट्टी भर मानव को देवता की कक्षा में ला देती है। चलो हम इस मानवट्स को हमारे जीवन में अंगीकार करे। और मानव के मारने के बाद भी उसे जिन्दा रखे, उस जड़ी बूटी का पान जीवन में रखे।।

जल्दी आना
November 25, 2016
प्रशंसा
December 5, 2016

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