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दलीलबाजी से बचने में ही लाभ है

एकबार पवन और सूर्य के बीच बात हो रही थी तब धरती पर से एक बूढ़ा काला
कोट पहनकर जा रहा था। उसे देखकर पवन ने सूर्य से कहा: मुझ में इतनी ज्यादा
ताकत ही की इस बूढे के कोट को मै उडा दूँ।
सूर्य ने मात्र मुस्कान बिखेरी। न तो उसके सामने कोई तर्क ही किया
और न कोई बात की ।
इस तरफ पवन ने सनसनाकर तेज गति से बहना शुरू कर दिया। यह देखकर
सूर्य बादलो की ओट में चला गया।
उस बूढ़े ने कोट को तेज पवन से उड़ने से बचाने के लिए दो हाथो से
जकड़े रखा।
इससे उत्तेजित पवन और ज्यादा ताकत आजमाने लगा। इस तरफ बूढ़ा भी और ज़ोर
लगाकर कोट को पकड़ने लगा।
कुछ देर बाद सूर्य बादल की ओट से बहार आया। चारो तरफ किरणे फैलने से
आतप फैल गया।
एक तरफ पवन का बहना बंद हुआ तो दूसरी ओर सूर्य की गर्मी पड़ रही थी। अतः
उमस बढ़ने के कारण बूढे ने कोट उतार दिया। उसकी तह करके हाथ में लिए जाने लगा।
पवन ने दूर से यह दृश्य देखा यो वह तो दंग रह गया। तब भी सूर्य मंद मंद
मुस्कुरा रहा था। विजय के नशे की एक हलकी सी रेखा भी उसके चेहरे पर ढूंढे से
भी नही मिलती थी।
हमे कभी किसी भी बात का अहम् नही करना चाहिए। अपनी ताकत और शक्ति को
सदुपयोग करना चाहिए।

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