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दिन की कहानी 17, फरवरी 2016

माँ-बाप

एक बालक अपने
माँ-बाप की खूब सेवा किया करता था,
उसके दोस्त उससे भी कहते कि
अगर इतनी सेवा तुमने
भगवान कि की होती तो तुम्हे भगवान मिल जाते ।
लेकिन इन सब चीजो से अनजान वो अपने
माता-पिता की सेवा करता रहा ।
एक दिन उसकी माँ-बाप की
सेवा-भक्ति से खुश होकर
भगवान धरती पर आ गये ।
उस वक्त वो बालक अपनी
माँ के पाँव दबा रहा था । भगवान दरवाजे के बाहर से बोले-
दरवाजा खोलो बेटा
मैं तुम्हारी माता-पिता की सेवा से
प्रसन्न होकर तुम्हे
वरदान देने आया हूँ ।
बालक ने कहा –
इंतजार करो प्रभु
मैं माँ की सेवा मे लगा हूँ ।

भगवान बोले –
देखो मैं वापस चला जाऊँगा ।
बालक ने कहा –
आप जा सकते है. भगवान मैं सेवा बीच मे
नही छोड़ सकता ।
कुछ देर बाद
उसने दरवाजा खोला तो
क्या देखता है
भगवान बाहर खड़े थे ।

भगवान बोले –
लोग मुझे पाने के लिये
कठोर तपस्या करते है,
पर मैं तुम्हे सहज ही मे मिल गया, पर तुमने
मुझसे प्रतीक्षा करवाई ।

बालक ने जवाब दिय –
हे ईश्वर जिस माँ-बाप की सेवा ने
आपको मेरे पास आने को
मजबूर कर दिया
उन माँ-बाप की सेवा बीच मे छोड़कर
मैं दरवाजा खोलने कैसे आता ।

यही इस जिंदगी का सार है ।
जिंदगी मे हमारे माँ-बाप से बढ़कर कुछ नही है ।
हमारे माँ-बाप ही हमे ये जिंदगी देते है ।
यही माँ-बाप अपना पेट काटकर बच्चो के लिये
अपना भविष्य खराब कर देते है ।
इसके बदले
हमारा भी ये फर्ज बनता है कि
हम कभी उन्हे दुःख ना दे ।
उनकी आँखो मे
आँसू कभी ना आये
चाहे परिस्थिति जो भी हो
प्रयत्न कीजियेगा ।

दिन की कहानी 17, फरवरी 2016
February 17, 2016
दिन की कहानी 17, फरवरी 2016
February 17, 2016

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