Archivers

दिन की कहानी 12, फरवरी 2016

आओं ! जिन-गुरु वाणी का अमृत पान करें

1. पर में सुखबुद्धि, हित अहित सोचने ही नहीं देतीं ।
2.उपेक्षा से सुनोगे ? तो उपेक्षित ही रहोंगे ।
3. तत्व अभ्यास बिना मोह गलाने का कोई दूसरा उपाय, जैन शासन मे तो नहीं है ।
4. मोह मे कष्ट न लगना, उसको पुष्ट ही करना है ।
5. वीतरागी ही हितैषी होता है ।
6. भोगों का विकास, सचमुच तो मोक्षमार्ग का विनाश है ।
7. राग मे कष्ट न लगना, उसमे उपादेय बुद्धि को बतलाता है ।
8. सुपात्र जीव को दिया गया दान, सहस्त्रगुना फलीभूत होता है ।
9. दरिद्र होने का कारण, दान न देना ।
10. कंजूसी, धन का सदुपयोग नहीं होने देती ।

दिन की कहानी 12, फरवरी 2016
February 12, 2016
दिन की कहानी 13, फरवरी 2016
February 13, 2016

Comments are closed.

Archivers