निर्णय आप स्वयं ही करे !
पूण्य कर्म का उदय कहो या हमारे से जो बड़े बुजुर्ग है उनका उपकार
कहो की आज लगभग सब जगह पर जिनेन्द्र देव के दर्शन सुलभ है सभी क्षेत्र में गांव में जैन मंदिर उपलब्ध है।
वो बात और है की ज्यादातर लोग फिर भी नित्य देवदर्शन तक नहीं करते
जो नित्य देव दर्शन नही करते, दोष उनका नहीं है……
शायद उनको जैन पाठशाला जाने का सौभाग्य नहीं मिला हो।
इसीकारण उन्हें अपने महान धर्म का महत्त्व ही नहीं पता चल पाया
आज हमारे बच्चे जो पाठशाला जाते है उनपर जैन संस्कार निर्माण का बड़ा कार्य सिर्फ पाठशाला की वजह से हो रहा है।
हम बड़े बड़े मंदिर तो बहुत बना रहे हे और बनाने भी चाहिए पर अगर जैन शिक्षा पर जोर नहीं दिया तो वो समय भी दूर नहीं जब मंदिर तो होंगे पर भक्त गायब हो जायेंगे।
अपने बच्चो को पाठशाला भेजीये… यह भविष्य के लिए अति आवश्यक है।
कही ऐसा ना हो के जिनेन्द्र देव को मंदिर जी में तो धूम धाम से विराजमान कर दिया पर उन जैसा कैसा बने वो संस्कार देना भूल गये…..
ज्ञान पंचमी के इस अवसर पर हम सब निश्चय करे की अपने बच्चों को धार्मिक पाठशाला आवश्य भेजेंगे।
पाठशाला में सेवा देने वाले सभी कार्यकर्ता और शिक्षक वर्ग की भी मैं खुप खुप अनुमोदना करती हु।
हमारे भारत भर के सभी जैन पाठशाला को समर्पित सुनिये यह सुंदर गीत
📚माँ धर्मकी पुस्तक देदो
मै पाठशाला जाऊ🚶🏼
सब जीवोंकी दया पालकर🚩
सच्चा जैन कहाउ🚩
पाया जैन धर्म