इस मनुष्य जीवन का प्रत्येक गुज़रता क्षण बेहद कीमती है।
कुछ नहीं तो कम से कम “समता” भाव धरने का प्रयत्न करें, जाने-अनजाने में मुझसे हुई को सुधर कर पढ़ें और किसी भी भूल-चूक के लिए मुझे क्षमा करें, अज्ञानवश अगर “जिनवाणी” कि अविनय हुई हो तो उसके लिए क्षमा मांगते हैं।
जा वाणी के ज्ञान तैं, सूझे लोकालोक।
सो वाणी मस्तक नमो, सदा देत हूँ ढोक।।
इससे इस बात की पूर्ण रूप से पुष्टि हो जाती है कि “जैन धर्मानुसार आत्मा भटकती नहीं है”
जैन ज्ञान दर्शन ग्रुप: मंजिल चाहे कितनी भी ऊँची क्यों न हो रास्ते हमेशा पैरों के नीचे होते हैं।
जो निखर कर बिखर जाये वो कर्तव्य है और जो बिखर कर निखर जाये वो व्यक्तित्व है।
चंदन से वंदन ज्यादा शीतल होता है।
योगी होने के बजाय उपयोगी होना ज्यादा अच्छा है।
प्रभाव अच्छा होने के बजाय स्वभाव अच्छा होना ज्यादा जरूरी है।
भरोसा भगवान पर है तो जो लिखा है, तकदीर में वो ही पाओगे,
मगर भरोसा अगर “खुद” पर है तो भगवान वही लिखेगा जो आप चाहोगे।