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कथा योशोदा कि व्यथा नारी की भाग 9

प्रियदर्शना : ” माँ ! बापुजी की याद आ रही है ना? इसलिए ही वापस रोने लगी ना ? मुझे भी बापुजी बहुत याद आ रहे है। वे मुझे कितना खिलाते थे। मुझे बग़ीचे में फिरने ले जाते। उनके हाथों से मुझे खाना खिलते थे। जभी उनकी गोद में बैठने मिलता था तब माँ !मुझे ऐसा लगता कि जैसे मै राजसिंहासन पर मखमल की गादी पर बैठी हूँ। उनकी गोद में मुझे गहरी नींद आ जाती।

माँ ! मुझे गोद में सोई हुई देखकर बापुजी मुझे मख्माल की गादी पर सुलाने का प्रयत्न करते तभी में जग उठती और जानबूझ कर रोने लगती। बापुजी मुझे फिर से उनकी गोद में ले लेते। मैं तुरंत शांत होकर मरक मरक हंसने लगती।

माँ ! तुझे पता है कि कितनी बार बापुजी कंटालकर तुझे कहते कि , ‘यशोदा ! इस प्रिया को संभाल । मुझे दूसरे थोड़े काम बाकी है।”

तू तो बापूजीकी आज्ञा के पालनेमे हरेक पल तैयार रहती, परंतु माँ! सच कहूं ? बुरा मत लगाना ! मुझे तेरे से भी बापुजी के पास ज्यादा अच्छा महसूस होता। जैसे ही तू मुझे उनकी गोडमें से लेती कि तुरंत में फिरसे रोने लगती।मुझे चाहिए थी केवल बापूज की गोद ! और अंततः बापुजी फिरसे मुझे उनकी गोदमें सुला देते। में तत्काल ही शांत हो जाती। तभी तू हँसते हँसते बापुजी को कहती के , ” नाथ ! इसको आपके बिना कौन संभालेगा ? अभी उसकी वज़ह से भी आपको संसारमे रुकना पड़ेगा। माता त्रिशला को दुःखी नहीं करने की प्रतिज्ञा से आपको संसारमे रुकना पड़ा, तो क्या इस प्रियाको रोते हुए छोड़कर जाओगे ? मैं तो यह कह दे रही हूं कि प्रियाकी जवाबदारी आपकी है। या तो उसे सँभालने के लिए यहाँ रहो, नहीं तो उसे भी आपके साथ ही बनजंगल में ले जाना।मैं उसे नहीं संभालूँगी।”

माँ! ऐसा सुनकर बापुजी उदास हो जाते । तुझे यह सब यद् है ना ? माँ ! भले बापुजी हमे मिलने न आवे , परंतु हम उन्हें मिलने नहीं जा सकते ? क्या हम जाएंगे तो वे हमें धिक्करेंगे ? नहीं नहीं ? मेरे बापुजी ऐसा कभी नही करेंगे। तो फिर माँ ! तू मुझे उनके पास ले जाएगी ? मुझे उन्हें मिलना है।

यशोदा : ” हाँ प्रिया ! कल सुबह ही तुझे उनके पास के जाउंगी। परंतु देखना हाँ ! तेरे बापुजी दुःखी हो वैसा कुछ भी बोलना नहीं । तू बहुत बोल बोल करती है।

प्रियदर्शना : ” अरे माँ !तू देखना तो जरा। मैं बापुजी को ऐसी बाते करुँगी के वे खुश हो जाएंगे।बोल फिर तो कोई परेशानी नहीं है ना ?”

यशोदा : ” वाह ! तू तो बड़ी पंडिता बन गई हो वैसी बांते कर रही है। बस अभी बोलना नहीं।जल्दी सो जा। सुबह तेरे बापुजी को मिलने जाना है ना ? “

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