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प्रित किये तो दुख होय पाठ 1 – भाग 1

अमर- सुन्दरी यह मिठाई ले खा ले फिर पढ़ाई चालू करना ।
सुन्दरी- पर यह क्या ? किसकी तरफ से आज मुँह मीठा हो रहा है अमर।
अमर- तेरी और से।
सुन्दरी- क्या कहा ? मेरी ओर से?
अमर- हा भाई हा तेरी ओर से।
सुन्दरी- पर मुझे तो इसका कुछ पता भी नहीं है फिर मेरी और से कैसे हो सकता हे अमर?
अमर- तेरी ओर से मेने यह कर दिया। केसे तेरे आंचल के छोर में सात कोडी बंधी हुई थी..
सुन्दरी- हा, वह तो थी ।
अमर- बस मेने वह निकाल कर उससे मिठाई मंगवाई। शाला के सभी विद्यार्थीयो को मिजबानी दी। तेरा हिस्सा अलग रखा तु तो सो गयी थी न । अब तो खा ले, फिर अभ्यास..
सुन्दरी- अरे वाह ।
उसकी बात को बिच में ही काटती हुई सुरसुन्दरी उबल पडी ।
क्या सेठ साहूकार का लड़का है?
पराये पेसो से मिजबानि करके जैसे तूने बड़ा एहसान कर दिया। मुझे पूछे बगैर मेरे पैसे लिए और और मिठाई मंगवाकर सबको बाट दी। यह तो कहो मेरे मेहरबान; ऐसी चोरी करना कहा से सीखे? तेरी माँ तो तेरी कितनी तारीफ करती है। उस बेचारी को क्या मालूम की उसका लाडला क्या करतुते करता है। ऐसे धंधे करता है। ऐसा करने से तुझे अच्छा लगेगा? तेरी इज्जत बढेगी? ऐसा तु समझता है पर याद रखना- ऐसे तो तेरी बेइज्जती होगी। पंडित जी तुझे बुद्धिमान, होशियार समझ कर काफी महत्व देते है, इसलिए तू ओरो की इस तरह चोरिया करता है क्यों?
अमर- पर सुन्दरी इस छोटी बात का क्यों इतना बतंगड़ बनाये जा रही है? तू तो कितना सुना रही है?
तू उस बात को मामुली समझाता है पर मेरे लिए तो यह काफी महत्वपुर्ण बात है। तू चाहे इसे गंभीरता से न ले पर बात तो सात कोडी की ही है न
मेने तेरी सात कोडी लेली इसमे तु ऐसी लाल पिली हो रही हे जैसे मेने तेरा राज्य छिन लिया हो ।
सात कोडी में क्या तुझे राज्य मिल जाने वाला था? राजकुमारी हुई तो क्या हुवा, इतना घमंड,इतना गुरुर। अरे हाँ।मै एक बार नहीं दस बार राजकुमारी हूँ और सात कोडी का मै कुछ भी करू तुझे इसमे या लेना?।
मै राज्य भी ले सकती हूँ। समझा अमरकुमार। सात कोडी में तो ले लु पुरा ।तु अपने आप को समझता क्या है? । एक तो करता और ऊपर से सफाई पेश करता है। तुझे ऊपर से उपदेश छाटे जा रहा है।
सुरसुन्दरी गुस्से में काप रही थी उसका गोरा चेहरा गुस्से में लाल हो गया था।उसने अपनी किताबे उठाई और अमर कुमार की इजाजत लिए बगैर शाला में से चली गयी ।दूसरे छात्र छात्रा सभी सहम गये थे ।उनके लिए यह बात बिलकुल नामुमकिन थी चुकी वे सब अमरकुमार सुरसुन्दरी की मैत्री से परचित थे।

आगे अगली पोस्ट मे पढे…

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