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कथा योशोदा कि व्यथा नारी की भाग 9

प्रियदर्शना : ” माँ ! बापुजी की याद आ रही है ना? इसलिए ही वापस रोने लगी ना ? मुझे भी बापुजी बहुत याद आ रहे है। वे मुझे कितना खिलाते थे। मुझे बग़ीचे में फिरने ले जाते। उनके हाथों से मुझे खाना खिलते थे। जभी उनकी गोद में बैठने मिलता था तब माँ !मुझे ऐसा लगता कि जैसे मै…

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कथा योशोदा कि व्यथा नारी की भाग 8

माँ ! तुझे एक बहुत अच्छा उपाय बताती हूँ- बापूजी तो चौबीस वे तीर्थंकर बनने वाले है ना ? मैंने यह बात बराबर सुनी है। और वे साधु-साध्वी – श्रावक -श्राविका इस तरह के चतुर्विध संध की स्थापना करेंगे। यह सभी बांते मैंने दादाजी के पास से सुनी थी। उन्होंने मुझे जिनशासन की बहुत सी बांते समज़ाई थी। दादी भी…

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कथा योशोदा कि व्यथा नारी की भाग 7

मातृवत्सल प्रिया बोल उठी,” ओ माँ ! तू थोड़ी भी चिंता मत करना ! मैं तुझे छोड़कर कहीं पे भी नहीं जाउंगी ! हमेशा के लिए तेरे साथ रहूंगी माँ ! मैं शादी नहीं करुँगी ! यह बात तू समझ के ही रखना की आज से मैं तेरी लड़की नहीं ,तेरा राजकुमार लड़का हु हूँ ! तू निश्चित हो जाना…

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कथा योशोदा कि व्यथा नारी की भाग 6

प्रियदर्शना वैसे तो ८ वर्ष कि बाला ही थी ! तो भी उसमे गंभीरता , समझशक्ति इत्यादि गुण खिले हुए थे ! माँ की बात उसे बराबर समझ आ गई ! माँ एकदम निर्दोष है यह बात का भी उसे पक्का ख्याल आ गया ! माँ को दुःखी करने की वजह से वह भी आसो – भादरवा बरसाने लगी !…

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कथा योशोदा कि व्यथा नारी की भाग 5

यशोदा : ” प्रिया ! अभी वे हमें मिलने कभी नहीं आएगे ! कभी भी नहीं आएंगे !” बोलते बोलते यशोदा का ह्रदय भारी हो गया ! वाणी गदगद बन गई ! आंखों में अश्रु का जल तरने लगा ! प्रियदर्शना माता को रोते हुए देखती रही ! इस तरह माता को रोते हुए उसने पहली बार देखा था !…

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