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श्रीपाल-मयणा सुंदरी – नवपद – आराधना – कर्म-सिद्धान्त…कथा भाग 5
पूर्व भवोंभव में किये पुण्यमयी कार्य, जिनवाणी पर अटूट श्रधा, राजा, रंक या त्रियंच जो भी जीवन मिला… उसे न्यायोच्चित्त जिनवाणी के अनुसार जीने वालो को अवश्य ही उपकारी प्रभु का मार्गदर्शन मिलता है l याद रहे हमारा वर्तमान भी अगले जन्मों का पूर्व भव होगा – तुरन्त जागों ओर आगे बढ़ों l जगत कृपालु महावीर परमात्मा ने गणधर गौतमस्वामीजी…
श्रीपाल-मयणा सुंदरी – नवपद – आराधना – कर्म-सिद्धान्त…कथा भाग 4
गुरुदेव और माँ का आशीर्वाद – श्रीपाल मयणासुंदरी दोनों तेजश्वी रूप मे अपने घर पहुंचे। दोनों ने माँ के चरण-स्पर्श किये, माँ ने दोनों को गले लगाते हुए करुणामयी आशीर्वाद दिया, जिनवाणी के मार्गदर्शन को शाश्वत बताते हुए.. तह दिल से बहू का आभार व्यक्त किया। बहू ने भी ख़ुशी के आंसुओं के साथ माताजी के दुबारा चरण स्पर्श किये…
श्रीपाल-मयणा सुंदरी – नवपद – आराधना – कर्म-सिद्धान्त…कथा भाग 3
पूर्व भवोंभव में किये पुण्यमयी कार्य, जिनवाणी पर अटूट श्रधा, राजा, रंक या त्रियंच जो भी जीवन मिला… उसे न्यायोच्चित्त जिनवाणी के अनुसार जीने वालो को अवश्य ही उपकारी प्रभु का मार्गदर्शन मिलता है l याद रहे हमारा वर्तमान भी अगले जन्मों का पूर्व भव होगा – तुरन्त जागों और आगे बढ़ों। मयणासुन्दरी – प्रातकाल होने पर मयणा ने अपने…
श्रीपाल-मयणा सुंदरी – नवपद – आराधना – कर्म-सिद्धान्त…कथा भाग 2
श्रीपालकुमार राजा के घर जन्म लेकर भी कोढ़ रोग से ग्रस्त क्यों…? श्रीपाल राजा पुर्व भव में हीरण्यपुर नगर के श्रीकांत राजा थे, जिन्हें शिकार का व्यसन था ! उनकी रानी श्रेष्ठ गुणवाली श्रीमती… जिनकी जैनधर्म पर अटूट श्रधा थी। वह हमेशा राजा को एकांत में समझाया करती थी…प्राणेश ! किसी भी जीव की हिंसा से जन्मोंजन्म तक भयंकर परिणाम…
श्रीपाल-मयणा सुंदरी – नवपद – आराधना – कर्म-सिद्धान्त…कथा भाग 1
श्रीपाल राजा – मयणासुंदरी कथा जिनवाणीसार : मन-वचन-काया से और राग-द्वेष से रहित होकर वीतराग भाव से जो आराधना की जाती है, उससे अवश्य ही कर्म क्षय होकर क्रमश.. पुनः जिनशासन, स्वर्ग, मोक्ष सुख की प्राप्ति और परमात्मा भी बनाती है l महाराजा श्रीपाल और मयणासुंदरी की कथा के बिना ओलीज़ी का लेखन अधूरा है, अतः आज से यह कथा…