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शैतानियत की हद – भाग 10

सोमदेवा खामोश हो गई । उसने अग्निशर्मा को बिछौने पर बिठाया । और उसे भोजन करवाया । भोजन करके अग्निशर्मा ने कहा : ‘मां, तू और पिताजी इस तरह दुःखी मत हो। मैने बाँधे हुए पापकर्मो की सजा मुझे भुगतनी होगी। भुगते बिना उन कर्मो का नाश नही होगा । मैने गत जन्म में धर्म नही किया है…. पाप ही…

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शैतानियत की हद – भाग 9

चार दिन से राजा मेरे साथ बोलते भी नही है । किसी गम्भीर सोच में उलझे हुए प्रतीत होते है ।’ ‘मां, उन्हें भूख नही लगती होगी, मुझे तो इस समय जोरों की भूख लगी हैं । यहीं पर मंगवा ले…. हम दोनों साथ ही भोजन करेंगे ।’ ‘रानी ने परियाचिका को भोजनखण्ड में भिजवाकर कुमार के लिए खाना मंगवा…

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शैतानियत की हद – भाग 8

शत्रुघ्न मौन हो गया । पर उसके मन मे डर तो छा ही गया था । कृष्णकांत भी बेचैन हो उठा था । अग्निशर्मा घोर पीड़ा से कराहता हुआ चीख रहा था : ‘ओ ईश्वर, अब तो मुझे इस सन्नास से छुटकारा दिला दें।’ यों रोते-रोते कलपते हुए वह ईश्वर को प्रर्थना करता रहा : कृष्ण पक्ष की अष्टमी का…

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शैतानियत की हद – भाग 7

गुणसेन महल के भीतरी खंड में बंधे हुए शिकारी कुत्ते को खोलकर उसे ले आया बाहर । लम्बी जंजीर उसके गले में बंधी थी । जंजीर के एक हिस्से पर एक बड़ी सी गोल कड़ी थी । उसे पकड़कर गुणसेन मैदान में आया । अग्निशर्मा मैदान के बीच बैठ गया था । कुत्ते ने उस पर हमला कर दिया ।…

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शैतानियत की हद – भाग 6

शत्रुघ्न दौड़ता हुआ रथ के पास पहुँच गया, गुणसेन ने रथ को भगाया । चारों मित्र अपने मूल स्वरूप में खिल उठे थे । जंगल मे स्थित महल द्वार पर रथ आकर खड़ा रहा । कुमार रथ में से नीचे उतरा और चाबी से ताला खोलकर दरवाजा खोल दिया। कृष्णकांत ने रथ को महल के विशाल मैदान में ले लिया।…

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