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राजा से शिकायत। – भाग 9

‘एक ब्राह्मण आग्रणी ने कहा : ‘हम भी पुरोहित परिवार की रक्षा के लिए कटिबद्ध हैं । जवानों को सावध कर दिये हैं । पुरोहित के घर के आगे सौ-सौ शास्त्रसज्ज युवान चौकन्ने होकर बैठे रहेंगे । खुद कुमार आये या उसके दोस्त आये…. किसी को पुरोहित के घर में प्रविष्ट नहीं होने दिया जाएगा। यदि मौका आया तो लड़ने…

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राजा से शिकायत। – भाग 8

पांचसौ ब्राह्मण जवानों के सपक्ष तू अकेला क्या कर सकेगा? किसी भी कीमत पर वे लोग तुझे अग्निशर्मा के पास नहीं जाने देंगे । क्या तू हाथपाई करेगा ? मारपीट करेगा ? उन पाँचसौ से तू अकेला निपट लेगा ?’ कुष्णकांत ने साफ साफ शब्दों में कहा : ‘तब फिर क्या करेंगे ?’ ‘कुछ दिन यूं ही बीतने दें ।’…

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राजा से शिकायत। – भाग 7

शत्रुध्न बोला : ‘नगर में सर्वत्र अपनी ही चर्चा हो रही है। मुझे भी मेरे पिताजी ने इस बारे में पूछा था ।’ ‘तूने क्या जवाब दिया ?’ कुमार ने पूछा । मैंने कहा कि बात सही है , परंतु हम तो महाराजकुमार जैसा कहेंगे वैसा करेंगे ।’ ‘तुम तीनों मेरे परम विश्वस्त मित्र हो ।’ जहरीमल ने कुमार से…

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राजा से शिकायत। – भाग 6

‘पर मैं उस ब्राह्मण के बच्चे को छोड़नेवाला नहीं । उसके साथ खेलने में… क्रीड़ा करने में मुझे बड़ा मजा आता है । रोजाना हम नई-नई तरकीबें लड़ाकर खेलते हैं । अरे मां । तू खुद भी यदि उस विदूषक को देखेगी तो तू भी पेट पकड़कर हंसती ही रहेगी ।’ ‘तुम खेला करना। मैं तेरे पिताजी को समझा दूंगी…

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राजा से शिकायत। – भाग 5

‘कुमार… अभी तू महाजन की शक्त्ति से परिचित नहीं है । इसलिए ऐसे कटु और अयोग्य वचन बोल रहा है । महाजन चाहे तो राजा को राज्यसिंहासन पर से नीचे उतार सकता है । राजा को देश निकाल की सजा दे सकता है… ऐसे महाजन का तू क्या कर लेगा ? क्या औकात है तेरी ?’ ‘बेटा, महाजन के विरुद्ध…

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