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आंसूओं में डूबा हुआ परिवार – भाग 5

एक मेरे मन की बात कहूं तुम से? ‘कहो माँ  !’  अमरकुमार गदगद हो उठा । ‘मै और गुणमंजरी दोनों साथ साथ चारित्र जीवन अंगीकार करेंगे ।’ ‘ओह, माँ….।’  कहती हुई गुणमंजरी धनवती से लिपट गई । ‘बेटी, अपने साथ अमर के पिताजी भी चारित्र लेंगे ! कल रात में ही मेरी उनके साथ बातचीत हुई है । उन्होंने कहा…

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आंसूओं में डूबा हुआ परिवार – भाग 4

तू’  ऐसा मत मानना की तेरे प्रति हमें अरुचि या अभाव हो गया है ! तेरे प्रति जो प्रेम था…  वह विशुद्ध बन गया है । प्रेम का विषय अब तेरी देह नहीं पर तेरी आत्मा बन गयी है। आत्मा का आत्मा के साथ प्रेम !  अदभुत होता है वह प्रेम !  देह अलग रहने पर भी वह  प्रेम अखंड…

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आंसूओं में डूबा हुआ परिवार – भाग 3

‘मंजरी…. मेरी बहन । गुरुदेव ने हमारा पूर्वभव कहा । हमें भी जातिस्मरण ज्ञान हुआ।  हमने भी खुद हमारा पूर्वजन्म देखा… जाना…. और हमारे दिल कांप उठे है ! संसार मे रहना… कुछ दिन भी संसार में गुजारना… अब हमारे लिये दुःखद बन गया है ! शायद तू’ अति आग्रह करेगी…. इजाजत नही देगी…. तेरा मन नही मानेगा… तो हम…

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आंसूओं में डूबा हुआ परिवार – भाग 2

गुणमंजरी का मासूम मन डर की आशंका  से कांप उठा । ‘एक ज्ञानी  गुरुदेव का परिचय हुआ….!’ ‘मेरे पिताजी ने उनसे पूर्वभव पूछा…. गुरुदेव ने हमारे दोनों के पूर्वभव कह बताये ।’ ‘क्या कहा गुरुदेव ने ?’ सुरसुन्दरी ने अपना और अमरकुमार का पूर्वभव कह सुनाया । गुणमंजरी रसपूर्वक सुनती रही । ‘यह पूर्वभव जानने के पश्चात हम दोनों के…

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आंसूओं में डूबा हुआ परिवार – भाग 1

मृत्युंजय गुणमंजरी को लेकर आ गया था । धनावह सेठ की हवेली में आनंद छा गया था । गुणमंजरी देवकुमार जैसे पुत्र को लेकर आई थी । धनवती ने गुणमंजरी के आगमन के साथ ही पौत्र को अपने पास ले लिया था । अमरकुमार और सुरसुन्दरी रथ में से उतकर हवेली में प्रविष्ट हुए, इतने में वहां पर खड़ी गुणमंजरी…

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