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बिदाई की घड़ी आई । – भाग 8

अमरकुमार महाराजा के पास आकर गमगीन चेहरे से बैठ गया था । महाराजा ने अमरकुमार के सामने देखा। अमर का हाथ अपने हाथ मे लेकर बड़े प्यार से कहा : ‘कुमार,  मेरी बातों का जरा भी बुरा मत मानना—-मन मे और कुछ मत सोचना । गुणमंजरी मुझे जान से भी प्यारी है । दूर देश में उसे बिदा कर रहा…

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बिदाई की घड़ी आई । – भाग 7

राजा-रानी दोनों अमरकुमार के महल पर आये । अमरकुमार और सुरसुन्दरी इस बड़े आदर सत्कार किया । ‘कुमार, मैने मृत्युंजय को सूचना दे दी है… तुम्हारी चंपा यात्रा की जिम्मेदारी उसी को सुपुर्द की है। तुम्हारे 32 जहाजों को सुसज्ज कर दे… और साथ में अन्य 10 जहाज भी तैयार करें । मृत्युंजय स्वयं सौ सेनिको के साथ चंपानगरी साथ…

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बिदाई की घड़ी आई । – भाग 6

सुरसुन्दरी ने गुणमंजरी को अपनी माँ रानी रातिसुन्दरी का परिचय दिया । पिता रिपुमर्दन राजा की पहचान दी । प्यारभरी सासु धनवती के गुण गाये । ससुरजी श्रेष्ठि धनावह का परिचय दिया । चंपानगरी के बारे में बातें बतायी…. और धीरे धीरे सुरसुन्दरी अपने बचपन की यादों के दरिये में खींच ले गयी गुणमंजरी को । जी भरकर दोनों बतियाने…

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बिदाई की घड़ी आई । – भाग 5

महारानी ने कमरे में प्रवेश किया । कमरे का दृश्य देखकर उनका दिल खुशी के मारे भर आया ।  उनकी आंखें छलक आयी ।  उन्हें लगा कि ‘मेरी बेटी सुरक्षित हाथों में है  ।’ वसंतपंचमी के शुभ दिन गुणमंजरी की शादी अमरकुमार के साथ धूमधड़ाके से हो गयी । महाराजा ने गुणमंजरी को ढेर सारी संपत्ति दी । आखिर एकलौती…

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बिदाई की घड़ी आई । – भाग 4

सुरसुन्दरी ने यक्षद्वीप पर की बातें विस्तार से अमरकुमार को सुनायी । यक्षराजा के उपकारों का वर्णन करते करते तो वह गदगद हो उठी । इतने में राजमहल से बुलावा आ गया । दोनों तैयार होकर राजमहल में पहुँचे । महाराजा ने प्रेम से दोनों का स्वागत किया । महारानी भी वही बैठी हुई थी । सुरसुन्दरी ने महारानी के…

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