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करम का भरम न जाने कोय – भाग 5
विमलयश ने मालती को अमरकुमार का कमरा बता दिया । हालाँकि मालती समझ तो गई थी कि ‘यह मेहमान गुनहगार है ।’ परन्तु उसने विमलयश को ‘कौन है ? कहां से आये है… क्या नाम है ? वगैरह कुछ भी पूछना उचित नहीं माना । शाम के समय मालती ने अमरकुमार के कमरे में जाकर पानी और भोजन रख दिया…
करम का भरम न जाने कोय – भाग 4
मुत्यु जय ने अमरकुमार के समक्ष दांत पीसे । उसने अपने सैनिकों को आज्ञा की : ‘सभी जहाजो पर कब्जा कर लो । इस चोर के तमाम आदमियों को बंदी बना लो … और जेल में बंद कर दो ।’ अमर की तरफ देखकर मुत्यु जय ने कड़े शब्दों में कहा : ‘सेठ, तुम्हें मेरे साथ आना है ।…
करम का भरम न जाने कोय – भाग 3
मुत्यु जय अपने विशेष सैनिक दस्ते को साथ लेकर , विमलयश के आदमियों के साथ समुद्र के किनारे पर जा धमका। अमरकुमार उसे किनारे पर ही मिल गया । ‘सेनापतिजी , यह है अमरकुमार सार्थवाह …’ विमलयश के आदमियों ने अमरकुमार की पहचान करवायी । श्रेष्ठि , यह है हमारे सेनापति मुत्यु जय । आपको मिलने के लिये यहाँ पर…
करम का भरम न जाने कोय – भाग 2
अमरकुमार के रक्षक जहाजों की रक्षा करने के लिये तैनात खड़े थे। राजपुरुषों ने कहा : ‘हम महाराजा की आज्ञा से आये है । हमें तुम्हारे सेठ के सभी जहाज देखने है ।’ ‘पधारिये … जहाज पर । हमारे सेठ भी अभी अभी ही वापस लौटे है राजसभा में से ।’ रक्षक लोक राजपुरुषों को जहाज पर ले गये। अमरकुमार…
करम का भरम न जाने कोय – भाग 1
राजसभा भरी थी । महाराजा गुणपाल के समीप के सिंहासन पर ही विमलयश बैठा था। राजसभा की कार्यवाही रोजाना की तरह चल रही थी। इतने में द्वारपाल ने आकर महाराजा को प्रणाम कर के निवेदन किया : ‘महाराजा , एक परदेशी सार्थवाह आपके दर्शन के लिये आना चाहता है ।’ ‘उन्हें आदरपूर्वक भीतर ले आओ ।’ महाराजा ने आज्ञा दी।…