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नया जीवन साथी मिला – भाग 2

विमलयश का तो नित्य क्रम हो गया था वीणावादन जैसे उसकी आदत बन चुकी थी मध्य रात्रि का मादक समय ही उनके पसंद किया था ।संगीत के माध्यम से वो परम आनंद की अनुभूति करता था। उसे मालूम नही था कि न जाने ऐसी कितनी राते उसे अकेले गुजारनी होगी बेनातट नगर में। एकांत व्यतीत न कर- दे इसके लिये…

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नया जीवन साथी मिला – भाग 1

प्रशांत यामिनी सर्द खामोशी में लिपटी लिपटी महक रही थी । नीलगगन के चांद बदलियों के संग आंखमिचौली को देख रहे थे। अतिथिगृह की अट्टालिका पर से कोई मधुर विणा के स्वरो का कारवां वातावरण में फेल रहा था ।शब्द भी जहा बर्फ बन जाये वैसी तन -मन को छू जाने वाली सुरवाली में से अपने आप भाव प्रगट हो…

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