भाई… क्यो इतना सारा विषाद चेहरे पर ? क्यो इतनी ढेर सारी गमगिनी और उदासी ?’भावी के विचारों की आंधी घिर आयी मनोजगत में!’ ‘ओफोह….ऐसे कौन से विचारो की आंधी ने तुम्हे उलझा दिया? यदि मुझे कहने में ऐतराज़ न हो ….’ ‘तेरे से क्या छुपा है …बहन?’ ‘तो फिर कह दो ना ! विचारो को व्यक्त कर देने से…