Archivers

अाखिर ‘भाई’ मिल गया – भाग 1

घनी अंधेरी रात थी | डरावना जंगल था | सनसनाती हुई सर्द हवा के साथ खङकते पत्तों की आवाज भी वातावरण को भयानक बना रही थी | निपट अकेली सुरसुंदरी अनजान रास्ते पर बेतहाशा दौड़ी जा रही थी | उसे अपने विनश्वर प्राणो की तनिक भी परवाह नहीं थी , वह चिंतित थी केवल अपने शीलधर्म की रक्षा के लिये…

Read More

Archivers