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क्या युवा बुद्धि समझ के साथ कार्य करते है?

इस देश मे युवा सबसे बड़ी ताकत है। I.T के क्षेत्र मे Indian युवा का सबसे बड़ा वर्ग है। इस देश के कई युवाओ ने अपने दम पर कई बड़े कारनामे करके देश को नई ऊँचाईयो पर पहुंचाया है। पर हमारे देश के राजनेता कही दुरुपयोग तो नही कर रहे क्योंकि हमारा लक्ष्य एक मात्र होना चाहिए- देश की परम्परा का रक्षण, भारत माता का यशोगान, ” वसुदेव कुटुम्बकम” की इतिहासिक परम्परा मात्र और मात्र इस भारत देश मे है। पर क्या आज के शिक्षण संस्थानो मे हमारे युवाओ को ” वसुदेव कुटुम्बकम” की परम्परा से भटकने का कार्य तो नही किया जा रहा है?

अरे हमारी धरती पर तो अनेक नीतिसमर्पण राजनेता ( चाणक्य ) हुए है। जिन्होंने देश के निर्माण मे अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। आज भी विश्व हमारे यहा की तक्षशिला और नालंदा जैसी प्रख्यात युनिवर्सीटी का आलंबन लेता है।ऐसे भव्य अध्ययन संस्थानो से एक समय हमारा देश शोभायमान था।

आज हम कोई ऐसा कदम तो नही उठा रहे है ना जिससे हम हमारे उज्ज्वल भूतकाल को समाप्त करने की ओर आगे बढ रहे हो?। इस देश के राजनैतिक दलो ने JNU के मुद्दे को उठा कर के क्या प्रस्तुत करना चाहते है? राष्ट्र के विरोध प्रकत्तियो को सपोर्ट कर इस राष्ट्र के नेता बनना चाहते है। युवाओ आपको ऐसी स्थिति पर हजार बार सोचना पड़ेगा। क्योंकि इस देश के हर नागरिक का कर्तव्य है कि उसे राष्ट्र की सेवा करना है। सहयोग करना है। राष्ट्र के विरोधियो के साथ मिलकर हमे राजनैतिक रोटीया नही सेकना है ।

क्योंकि ऐसी जगह पर हमरे युवाओ का दुरुपयोग किया जाता है। उनके जोश का अनुभवी लोग गलत फायदा उठाते है। जिस युवा को हम हमारी ताकत मान रहे है उस युवा का भौतिक, सामाजिक या अध्यात्मिक किसी भी दृष्टि से missuse नही होना चाहिए ।
क्योंकि युवा वो शक्ति है जो –

” सही मार्ग पर हो तो देश का सर्जन कर सकती है।
गलत मार्ग पर हो तो देश का विनाश कर सकती है।”

युवा का सही विकास होगा तो देश का सही विकास होगा। हमारा बहुसंख्यक युवा संपन्न होगा तो देश भी संपन्न होगा। यंग जेनरेशन संस्कार वान होगी तो ही हमारी सभ्यता का संरक्षण हो सकेगा।

युवाओ को तोड़ने बहकाने जैसे मुद्दो पर अपनी सही बुद्धि का उपयोग करना चाहिए। क्योंकि अगर सही मायने मे हमारी समझ का उपयोग किया तो फिर राजनेता उमडे जोश को लुट नही सकते है। आपका जोश आपकी ताकत है। अगर आपके जोश मे विवेक और बुद्धि मिल जाए तो इस देश की युनिवर्सीटी आज भी विवेकानंद, वस्तुपाल, तेजपाल, भामाशाह का प्रोडेक्शन कर सकती है।

हमारी शक्ति मे ही क्वालिटी मिलाना है तो फिर से यह धरती माँ को सारा भाई कस्तुर भाई , अब्दुल कलाम जैसे सपुत मिलेंगे।

जो विश्व के हर कोने मे आर्य संस्कृति का यशोगान गायेगे।
तो बस बुद्धि और विवेक के साथ निर्णय ले की हमे किसका साथ देना है ।

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