तिर्छा लोक के नीचे अधोलोक में ७ राजलोक में ७ नर्क हे | वहाँ संख्याता एवं असंख्याता योजन वाले नरकावास होते हे | ये नरकावास कुल ८४ लाख हें| पापी जीव नरक में जाते हें| नारकी जीव नरक में उत्पन्न होते हें| यही उनकी योनी हें | वहाँ उत्पन्न होते ही अंतमुहूर्त (४८ मिनिट) में शरीर गोखले से भी बड़ा हो जाने से नीचे गिरनी लगता हें | इतने में तुरंत परमाँधामी देव वहाँ आकर पूर्वकृत कर्म के अनुसार उनको दुःख देने लगते हें | जेसे मध पीने वाले को गरम सीसा पिलाते हें | परस्त्री लम्पटी को अग्निमय लोह पुतली के साथ आलिंगन कराते हें | भाले से विन्ध्ते हें, तेल में तलते हें , भट्टी में सकते हें , घाणी में पिलते हें , करवत से काटते हें | पक्षी , सिहं आदि का रूप बनाकर पीड़ा देते हें , खून की नदी में डुबोते हें , तलवार के समान पत्तेवाले वन एवं गरम धूल में दोड़ाते हें | वजर्मय कुम्भी में जब उनको तपाया जाता हें | तब वे वेदना से आकाश में ५०० योजन उपर उछलते हें | तब आकाश में पक्षी एवं नीचे शेर , चीता वगेरह मुह फाडकर खाने दोडते हें | इस प्रकार अति भयंकर वेदना होती हें
वेदना १० प्रकार की होती हें :-
शीत वेदना :- हिमालय पर्वत पर बर्फ गिरता हो एवं ठंडी हवा चल रही हो उससे भी अनन्तगुना ठंडी, नारकी के जीव सहन करते हें |
उष्ण वेदना :- चारों तरफ अग्नि की ज्वालाए हो एवं उपर सूर्य भयंकर तप रहा हो उससे भी अनंतगुणा ताप |
भूख की वेदना :- दुनीया की सभी चीजे (खाद्य-अखाद्य) खा ले तो भी भूख नही मिटती |
तृषा वेदना :- सभी नदी, तालाब , समुद्र आदि का पानी पि ले तो भी शांत न हो एसी तृषा लगती हें |
खुजली की वेदना :- चाक़ू से खुजलाने पर भी खुजली नही मिटती |
पराधीनता :- हमेशा पराधीन होकर रहते हें |
बुखार :- हमेशा शरीर खूब गरम रहता हें |
दाह :- अन्दर से खूब जलता हें |
भय :- परमाधामी एवं अन्य नारको का सतत भय रहता हें |
शोक :- भय के कारण सतत शोक रहता हें |
नारकी जीव निर्वस्त्र एवं पंख छेदने पर जैसी पक्षी की आकृति होती हें वैसी अत्यंत विभत्स आकृति वाले होते हें | दीवार आदि का स्पर्श होने मात्र से उनके शरीर के टुकड़े – टुकड़े हो जाते हें | नरक में जमीन माँस, खून, श्लेष्म, विष्टा से भरपूर रंग – विभत्स, गंध – सड़े हुए मृत कलेवर के समान, रस-कड़वा एवं स्पर्श बिच्छू के समान होते हें |
नरक में कौन जाते हें ?
अति क्रूर सर्प , सिहांदी , पक्षी, जलचर बहुधा नरक में से आते हें | एवं पुन: वहाँ जाते हें| जो झगड़ा करते है , टी.वी. देखते हें , कंदमूल – अभक्ष्य (ब्रेड वगेरे) खाते हें , वे प्राय: नरक में ताते है तथा धन की लालच , तीव्र-क्रोध , शील नही पालने पर , रात्रि भोजन , शराब , मांस , होटल आदि का खाना एवं दूसरों को संकट आदि में डालना वगैरह पाप तथा महा मिथ्यात्व एवं अति रौद्र – ध्यान के कारण जीव नरक में जाकर ऐसी तीव्रवेदना को सहन करता हें | वहाँ उसको बचाने एवं सहाय करने वाला कोई नही होता | वहाँ माँ-बाप या सगे सम्बन्धी भी नहीं होते | कोई सहानुभूति नहि जताते |