आज हम जिस Education को बढावा दे रहे है, आज हम जिस क्लचर को आगे ले जा रहे है क्या वह भविष्य के अंदर हमारी संस्कृति के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह खडा कर देगा। हमारी संस्कृति के अंदर दाम्पत्य जीवन वो पत्नी के समर्पण और पति की कर्तव्य निष्ठा के ऊपर चालता है। जबकि western मे यह करार रूप समानता के आधिकार पर चलता है। आज हमारी युवा पीढ़ी धर्म से दूर होती जा रही है। और इसी का परिणाम है कि आज हमारे देश मे परिवार टूटते जा रहे है। जिस धरती पर कभी तलाक शब्द सुनने मे नही आता था आज उसी धरती तर 24hrs तलाक शब्द की दर्दनाक अवाजे उठ रही है। हर संस्कृति दो मे से एक रास्ते पर जाती है।
एक रास्ता आस्तिकता की ओर जाता है और दूसरा रास्ता नास्तिकता की ओर जाता है।
आस्तिकता का रास्ता मानव को संतोष, शान्ति, समाधि देता है तो नास्तिकता का रास्ता इन्सान को प्रेशर, डिप्रशन, और सूसाइड देता है। हम जिस भी रास्ते को चुना है वो रास्ता कहाँ ले जाता है? मेरा रास्ता बिल्गेटस की ओर नही चाणक्य की ओर ले जाना चाहिए। मुझे मेरा आदर्श बराक ओबामा को नही कुमारपाल को बनाना है। मेरी संस्कृति भक्षक नही रक्षक बनाती है ।
आज बैंगलोर जैसी city मे हम जब students की हालत देखते है तो पता ही नही चलता कि यह भारत माँ की भूमिपर जन्म लिये बच्चे है। एक कॉलेज मे पढ़ने वाली लड़की से मेरी बात हुई। उसने जब मुझे उसकी दिनचर्या बताई तो मै स्तब्ध हो गया। Jain समाज की लडकी, शिक्षत परिवार की लड़की, प्रतिष्टित परिवार की बेटी समाज के आगवानो की लाडली है और दिनचर्या मे हुक्का बार आम बात थी। पब मे जाने की आदि थी। विचार करो भविष्य मे उस लडकी का क्या होगा? इस माहोल मे उसने अपना यौवन निकाला है, वह हायर Education लेने के बाद कही Set हो सकती है? किसी परिवार मे समर्पित हो कर रह सकती है क्या?
हमे इन सारी बातो पर गहरा मंथन करना होगा। क्योंकि अगर वो western मे ढल गई तो कल से वह कहेगी पति पत्नी है हम दोनो घर का काम करेंगे। तेरा खाना तू बनायेगा- मेरा मै बनायूगी, बच्चो को आधे समय तू संभालेगा और आधे समय मै संभालुंगी। मेरे अकली का थोडी बेटा है? हमारा बेटा है तो हम दोनो का फर्ज है। यह बाते वह होती जहाँ अधिकारो के लिए लडा जाता है। western ट्रेड ही लडना है झगडना है। यह परम्परा हमारे देश कतय हमे नही देता है। तो फिर बस हमे हमारे कदम को West से East की ओर टर्न करना होगा ताकि हम हमारे देश की संस्कृति का रक्षण कर सके। हमारे गौरवशाली इतिहास को परम्परा को युगो तक जीवित रख सके।
हमारा लक्ष्य ट्रेम्प नही चाणक्य होना चाहिए जो राजनीति तो करते है पर धर्मनीति के पलड़े पर बैठकर के करते है। उससे लोगो को सही न्याय मिलेता है ।
अरे इस देश के कई विरो ने एक जीव को बचाने के लिए मेघरथराजा की तरह अपने प्राणो को दावॅ पर लगा दिया ।