Archivers

स्नात्र पुजा विशेष

स्नात्र पुजा क्या है……?
कैसे और कब की जाती है…?
यह बाते काफी श्रावक-श्राविका को पता ही नही होती।

यह पुजा आमतौर पर मंदीर मार्गी श्रावक-श्राविका द्वारा की जाती है।
यह एक मंदिर में कोई भी पूजा-विधि से पहले की गयी प्राथमिक पुजा है।

पंडित श्री वीरविजयजी ने काव्यात्मक स्वरुप में सर्व प्रथम इसकी रचना की और यह प्रथा आज सदियों से चली आ रही है।
यह स्नात्र पुजा भगवान के 5 कल्याणक में से प्रथम दो कल्याणक च्यवन और जन्म को उत्सव स्वरुप दर्शाती और मनायी जाती है।

*खास बात यह है की यह एक ही स्नात्र पुजा किसी एक तीर्थंकर के लिये नही बल्कि सभी तीर्थंकरो के लिये की जाती है।*

प्रभु के च्यवनऔर जन्म कल्याणक का वर्णन सुंदर श्लोकों और गीतों के द्वारा इस पुजा में व्यक्त किया जाता है।
एक उत्सव की तरह और भावपूर्वक विधि विधान से यह पुजा की जाती है।
साक्षात् प्रभु के जन्म से पृथ्वी पर आनंदोत्सव होता है और पूरा जगत मानव और प्राणी शांती अनुभव करते है ऐसे भाव इस पुजा में व्यक्त होते है।

अंत में अष्ट प्रकार पुजा की जाती है और समस्त विश्व में शांती और समृद्धि की प्रार्थना की जाती है। आनंद का यह अवसर बाद में आरती और मंगल दिपक द्वारा मनाया जाता है।

*एक बार सच्चे भाव से यह पुजा करो और हृदय में जो सुखद अनुभुती आती है उसका अवर्णनीय आनंद लीजिये।*

स्नात्र पुजा महत्त्व लिखने में कोई गलती हुई हो तो मिच्छामी दुक्कड़म।।

“अगर आप होटल में खाना खाते है तो जुरुर पढिये” ” होटल में वेज नॉन वेज मिक्स”
March 31, 2017
नरक में कौन जाते हें?
April 4, 2017

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Archivers