जीवन एक जुआ है। हम इच्छा करे या न करे हमे जुआ खेलना ही पड़ता है। रोज सुबह एक बाजी लगती है हार अथवा जीत वह बाजी प्रकृति के साथ लगती है। यह जुआ समय के साथ खेलता है। जो कभी जितने नही देता है। तो कभी जीतना भी नही है।
इतिहास गवाह है की इंसान समय का तोप फाड़कर सफल हुआ है। दीवार पर उगते पीपल की तरह इंसान समय को फाड़कर जीया भी है जीता नही है।
जिंदगी में जुआ वो संघर्ष का है जिसका संघर्ष कम होता है। वह हार जाता है विश्व का कोई भी महान आदमी ले लो। उसे एक भी सफलता सरलता से नही मिली है।
आकड़ो में मानने वाले के लिए जिंदगी गणित है। जिंदगी की गणित में जोड़ घटाव गुणा भाग है। अंत में तो इंसान को एक सौ तक की सफ़र जन्म से मृत्यु तक पूरी करनी है ।
एक से सौ, क से ज्ञ और अतः से इति का संबंध जीवन के साथ है। सुबह के नसीब में भी रात ही लिखाई है। अभी फ़िल्म अभी नेत्री तब्बू ने एक इंटरव्यू में कहा था। हर इंसान एक एक्सपायरी डेट लेकर ही जन्म लेता है। हर एक इंसान के माथे पर पढ़ नही सकते है। उस अक्षरो में अंत की एक तारीख लिखी होती है। इस तारीख से डरने की ज़रूरत नही है। बल्कि इस तारीख तक जीने का जी जाने का जरुरी है ।
बाजार में कोई भी वस्तु लेने जाते है तो उसके पैकिंग के ऊपर लिखा हुआ होता है की ” बेस्ट बिफोर डेट सो न सो” life भी ऐसी ही है।
“Life is best before death”
जिंदगी पहाड पर से बहते झरने जैसी है। जिसे रोक नही सकते है। जिसकी सतत् गति चालू है। जो बिच में आते पत्थरो से टकराता है और अंत में समुद्र में मिल जाता है।
जिंदगी भी कुछ इसी तरह है जन्म के साथ सतत् चालू हो जाती है। कई सारे उतार चढ़ाव से टकराती है। अंत में जीवन का सार बताती मृत्युरूपी समुद्र में मिल जाती है।
जिंदगी वह मेरी गो राउड जैसी है। जिसमे सतत् ऊपर निचे घुमना रहता है। जिसमे शिखर भी है तलेटी भी है। कुम्पल भी है , फूल भी है और फल भी है। उदय भी है , अस्त भी है, सुख है और दुःख भी है। इन सारी चीज़ों का जहाँ समन्वय है उसी का नाम जिन्दगी है।
तो बस इस जिंदगी को आनंद का सफ़र बनाये।
ताकि यह यादगार बने।