आज हर घर में एक युद्ध हो रहा है क्योंकि अपने एक ही सेना में तीन सेनापति बना दिए है।
सास, ननंद, देराणी, जेठानी यह सब संसार की शतरंज के पासे है। अगर इसमें ठीक तरह से चाल चलते नही है तो सफल खिलाडी भी संसार की चौपट हार जाता है।
एक घर की बात है जहा माँ बेटी का संवाद चलता है और उसी बीच में बहुरानी अपनी सलाह दे देती है। और एक महाभारत प्रारम्भ हो जाता है। अगर देखे इसमें जनरेशन गैपिंग, विवेक बुद्धि का विचार, अंधश्रद्धालु समाज यह सब के सब कारण विवाद को खड़ा कर देते है। वहा पर भी बहुरानी ने सलहदि थी जो की सही थी तर्क सगत थी परन्तु सासु माँ उसे स्वीकार करने में असमर्थ थे। क्योंकि वहाँ पर उनका EGO हर्ट होता था। सही बात स्वीकार कर अपनी बात को छोड़ना था। परन्तु वह यह सब करने को तैयार नही थे। और यही चीज युद्ध का संघर्ष हमारे घरों को विभाजन में बाट देता है। जो परिणाम विनाश को ले कर आता है।
हम हमारी लाड़ली बेटी के सारे गुण दोष स्वीकार करते है परन्तु बहु का एक दोष स्वीकार करने को तैयार ही नही होते है तो फिर परिणाम विकट ही आयेगे।
फिर उसके बाद घरों में आग लग जाती है। और हम अन्याय के धर्म काटे पर बैठकर न्याय तोलने जाते जो कदापि संभव नही होता है।
ऐसी जगह पर हम ” *नरो वा किंजरो वा* न्याय पर चलने जाते है जप घर को तोड़ देता है। और घर की बातो को बाजार में ला देता है। अगर हमे घर की बातो को बाजार में नही लाना है तो सबसे पहले तटस्थता को लाना होगा। विवेक बुद्धि से विचारना होगा, सही को सही मानना होगा। तो संसार का रण भी स्वीट होम बन जायेगा।।
” जो माँ है वही सास है फिर माँ क्यों अच्छी
और सास क्यों बुरी है?
जो बेटी है वही तो बहु है फिर बेटी क्यों लालड़ी
बहु क्यों बुरी है
बेटी का दुःख ही सीने को चिरता है
बहु से नज़रे क्यों नफ़रत भरी है?
लोभियों ने बेशक बहु पर तेल डाला है
पर जब भी जली है बेटिया ही जाली है”