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आर्य संस्कृति की विरासत गौमाता है।

भारत देश एक मात्र राष्ट्र नही है यह तो एक माता है। माता सदैव अपने बच्चों को वात्सल्य देती है।जीवो का रक्षण करती है।

पर आज कुछ ज्यादा अति हो गयी है। हम कई जीवो की हत्या की खुले आम उपेक्षा कर देते है। उधर ध्यान ही नही जाता है तो कभी एक जीव की रक्षा के लिए मीडिया राष्ट्र स्तर पर आंदोलन को बढ़ावा दे देता है। देश के रक्षक शक्तिमान घोडे का बलिदान काफी मन को दुखी करता है।

उसके प्रति संवेदना होना बेहत ज़रूरी है। जो राष्ट्र की रक्षा के लिए प्राणों को दे दे वह महान होता है।

परन्तु इस देश का चौथा स्तम्भ मीडिया ऐसे मामलो में दोस्ती नीति अपनाती है। हम शक्तिमान को तो सम्मान के साथ पूरा कवरेज देते है।

परन्तु वह गौमाता जिसका दूध पीकर हम बड़े होते है। उसकी जहाँ पर खुले आम हत्या हो जाती है।

रोज सेकड़ो हज़ारो की तादात में गायो को कतलखाने में पहुँचाया जाता है। तब हम कुछ भी नही सोचते है। तब हम मौन रहते है।

“दूध का दान दो जने ही देते है
एक है माँ दूसरी है गौ माँ”

उस दूध का दान देने वाली गौ माँ के लिए हम कितनी आवाज़ उठाते है। मीडिया को शायद उस गौ माँ कारुण आवाज़े सुनाई नही देती है। शायद कैमरामैन गौ माँ भक्षी नराधमो तक पहुँच नही पाते है।

या तो हमारी दया , माँ के प्रति के समर्पण में कमी नज़र आती है। शक्तिमान देश का वीर रक्षक था परन्तु गौ माँ के दूध से तो कई वीर देश के रक्षको का जन्म होता है।

हर बालक को दूध ही बचपन में रक्षण करता है। यह माता का दूध ही उसके जीवन को बचाता है मजबूती देता है। तब वह बड़ा हो कर इस मातृभूमि की रक्षा कर पाता है। जन्मदाती पालनदात्री दोनों माँ होती है तो बस इस पालन करनेवाली माँ की हत्या करने वालो के लिए भी यह चौथा स्तंभ बुलंद आवाज़ को उठाकर अपने फर्ज को निभाए।

इस माता की रक्षा करना हर एक बच्चे का धर्म है।
“महजब की हर बात से उचा माता का दर्जा है।”

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