विचारों को अपने जीवन में परिवर्तन करना

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मानव की सेवा वो भगवान की सेवा है

सेवा मानव का धर्म है। सेवा मानव का सच्चा कर्म है। सेवा मानव का दयालु मन है। सेवा मानव का मनन है। सेवा दुसरो के लिए घिसाने वाला तन है। सेवा संस्कार है। सेवा पिडीत मानव की पुकार है। सेवा निराधार की आधार है। सेवा अहं का आकार है। सेवा होती है वहा प्रेम का बरसात अनराधार है। और सेवा…

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