विचारों को अपने जीवन में परिवर्तन करना
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“विचार अपवित्र बनते है तब आचार भी अपवित्र बन जाता है चलो विचारो की care करे”
विचार वह मन में उढते तरंग जैसे है तरंग दीपक की ज्योति जैसी भी होती है और प्राण को निकाल दे ऐसी बिजली जैसी भी होती है। मन में विचार उत्पन्न होना , ये एक फिक्स बात है। परन्तु विचार कैसे होंगे उसका आधार मानव पर ही है। मानव अच्छे विचार भी कर सकता है और बुरे विचार भी कर…
“अपमान के साथ निकालते हो घर में से आज.. आँसू बन कर आपकी आँखों में आएंगे..”
घटना आज से 45 yrs पुराणी है। अहमदाबाद की प्रख्यात मेडिकल कॉलेज में से परीक्षा देकर युवक- युवतिया बहार निकल रहे थे। एक अत्यंत साधारण घर का तेजस्वी युवक पैदल चल रहा था। कॉलेज के मैन गेट में से बहार निकल रहा था। तभी एक इम्पोर्टेड कार ओवरटेक करती है। गाड़ी रूकती है। तेजस्वी युवक तपन उस गाड़ी में बैठ…
“इस प्रधानमंत्री जैसा चरित्र सबका हो जाए तो देश चरित्रवान बन जाएगा”
मानव कि सम्पत्ति चली जाए तो भी वह कुछ भी खोता नही है कारण वह उसे पुनः प्राप्त कर सकता है, मानव कि स्वस्थाता को हानि पहुंचा तो भी वह एक बार उसे पुनः पा सकता है, परंतु मानव एक बार अगर चरित्र को खो दे तो यह समझना की उसने जीवन में सब कुछ खो दिया है। चरित्र एक…
आर्द्रकुमार का दृष्टांत
आर्द्रकुमार पूर्व भव में सोमादित्य नामक ब्राहमण था। उसकी पत्नी का नाम बंधुमती था। एक बार वैराग्य भाव में आकर उसने अपनी पत्नी के साथ आचार्यदेव श्री सुस्थितसूरीश्वरजी म.सा. के पास दीक्षा ग्रहण की। उसके पश्चात स्वयं की (भुतपूर्व पत्नी) साध्वी को देखकर पूर्व की काम-क्रीड़ा का स्मरण हो गया। अहो ! वास्तव में काम वासना कितनी बलवान है? साधुपना…
बंधुमती साध्वीजी
बंधुमती साध्वीजी को यह पता चला कि मुनिराजश्री मेरे निमित्त से रोज पाप बांधते हैं । अतः अनशन कर जीवन का अंत कर लूं । जिससे मेरे निमित्त से उनको पाप तो नहीं बंधेगा।इस प्रकार भाव दया का चिंतन करके गुरुदेव की अनुमति लेकर अनशन करके शुभ भाव में काल कर वह साध्वीजी देवलोक में गई। महान आत्मायें दूसरों को…