मंदिर के बाहर लिखा हुआ
एक खुबसुरत सच l
अगर उपवास करके
भगवान खुश होते,
तो इस दुनिया में बहुत दिनो तक
खाली पेट रहनेवाला भिखारी
सबसे सुखी इन्सान होता,
उपवास अन का नही
विचारों का करे l
इंसान खुद की नजर में
सही होना चाहिए,
दुनिया तो भगवान से भी दुखी है,
चिड़िया जब जीवित रहती है,
तब वो चिंटी को खाती है,
चिड़िया जब मर जाती है,
तब चींटिया उसको खा जाती है ।
इसलिए इस बात का ध्यान रखो की
समय और स्तिथि कभी भी
बदल सकती है,
इसलिए कभी किसी का
अपमान मत करो
कभी किसी को कम मत आंको ।
तुम शक्तिशाली हो सकते हो
पर समय तुमसे भी शक्तिशाली है ।
एक पेड़ से लाखो माचिस की
तीलिया बनाई जा सकती है,
पर एक माचिस की तिल्ली से
लाखो पेड़ भी जल सकते है ।
कोई चाहे कितना भी
महान क्यों ना हो जाए,
पर कुदरत कभी भी किसी को
महान बनने का मौका नहीं देती ।
कंठ दिया कोयल को,
तो रूप छीन लिया ।
रूप दिया मोर को,
तो ईच्छा छीन ली ।
दी ईच्छा इन्सान को,
तो संतोष छीन लिया ।
दिया संतोष संत को,
तो संसार छीन लिया ।
दिया संसार चलाने
देवी-देवताओं को,
तो उनसे भी मोक्ष छीन लिया ।
मत करना कभी भी ग़ुरूर
अपने आप पर ‘ऐ इंसान’
भगवान ने तेरे और मेरे जैसे
कितनो को मिट्टी से बना के,
मिट्टी में मिला दिए ।
इंसान दुनिया में
तीन चीज़ो के लिए
मेहनत करता है
१.मेरा नाम ऊँचा हों ।
२ – मेरा लिबास अच्छा हो ।
३-मेरा मकान खूबसूरत हो ।
लेकिन इंसान के मरते ही
भगवान उसकी तीनों चीज़े
सबसे पहले बदल देता है
१- नाम = (स्वर्गीय )
२- लिबास = (कफन )
३-मकान = ( श्मशान )
जीवन की कड़वी सच्चाई
जिसे हम समझना नहीं चाहते
एक पथ्थर सिर्फ
एक बार मंदिर जाता है और
भगवान बन जाता है ..
इंसान हर रोज़ मंदिर जाते है
फिर भी पथ्थर ही रहते है,
एक औरत बेटे को
जन्म देने के लिये अपनी
सुन्दरता त्याग देती है और
वही बेटा एक सुन्दर बीवी के लिए
अपनी माँ को त्याग देता है ।
जीवन में हर जगह हम
“जीत” चाहते हैं…
सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी है,
जहाँ हम कहते हैं कि
“हार” चाहिए ।
क्योंकि
हम भगवान से “जीत” नहीं सकते ।
– धीमें से पढ़े बहुत ही अर्थपूर्ण है…।