महारानी ने गुणमंजरी को अपने अकंपाश मे जकड़ लिया । माँ बेटी दोनों की आँखो
के किनारे खुशी के आंसूओ के तोरण बंध गए ।
प्रजाजन तो नाचने लगे ! नगर में से दो रथ आ गए थे । एक रथ में महाराजा विमलयश
को लेकर बैठे । दूसरे रथ में रानी गुणमंजरी के साथ बैठी । विमलयश ने तस्कर को
अपने साथ चलने की सूचना दे दी थी । नगर में आनंद का उदधि उफन रहा था !
नगर वधुओ ने विमलयश के उपर फूलो की वृष्टि की । राजसभा का आयोजन हुआ ।
महाराजा ने विमलयश को अपने निकट ही बिठाया । जवनिका के भीतर महारानी के समीप
गुणमंजरी बैठ गई । महाराजा ने पूरी सभा पर सनसनी निगाह डाली। फिर सभा जनों को
सम्भोदित करते हुए कहा :
‘मेरे प्रिय प्रजाजन !
आज अपने आनन्द की सीमा नही है ! खुशी की अवधि नही है ! इस सबका श्रेय है अपने
सबके लाडले इस परदेशी राजकुमार विमलयश को ! राजकुमारी को भयंकर चोर के शिकंजे
में से मुक्त करा कर लाया है । अपन पहले विमलयश के खुद के खुद के मुह से सारी
घटना का बयान सुने की उसने राजकुमारी को कैसे मुक्त किया ? और चोर का क्या
किया ?’
महाराजा ने विमलयश के सामने देखा । विमलयश ने खड़े होकर महाराजा को प्रणाम
किया..ओर कहा :
‘मेरे पितातुल्य महाराजा और प्यारे प्रजाजन, जो कुछ भी अच्छा हुआ है वह सारा
प्रभाव श्री नवकार महामंत्र की अचिन्त्य कृपा का है । मै केवल निमित्त बना हुँ
। राजकुमारी के प्रबल पुण्योदय से ही मैं समयसर उस तक पहुच सका । पिछले कुछ
दिनों से नगर में हायतोबा मचा देने वाला कोई चोर सामान्य अपराधी नही है….
उसके पास मंत्रशक्तिया है । विद्याशक्ति है । उसी शक्ति के बल पर ही उसने आज
तक सफलता प्राप्त की थी। परन्तु विद्याशक्ति का दुरुपयोग आखिर कहा तक कुदरत
सहन कर सकती थी ? मेरे हाथों वह पराजित हुआ । मैने उसे जिन्दा पकड़ लिया…
उसने मेरी शरण ले ली ….! !
‘अचानक जवनिका में से गुणमंजरी बाहर आयी और महाराजा गुणपाल के पास जाकर उसने
कहा :
‘पिताजी, तस्कर के पास मंत्रशक्तिया होगी, पर परदेशी कुमार के पास तो इससे भी
बढ़कर तस्कर के पीछे ही गुफा में चले आये थे ।
और एक ही मुष्टि का प्रहार कर के उसे जमीन पर ढेर कर दिया । एक ही लात में
उससे खून की उल्टी करवा दी । दिन में चांद-तारे दिखा दिए ! कुमार की ताकत गजब
की है। पिताजी, मेरे प्राणों की रक्षा करने वाले कुमार का आभार मैं किन शब्दो
मे व्यक्त करू ?’ गुणमंजरी का स्वर गदगद हो उठा ! सभाजनो की आंखे भी खुशी के
आँसुओ से भर आयी ।
‘कुमार… उस तस्कर का तुमने क्या किया ?’
‘महाराज, उसे हम हमारे साथ ही ले आये है । आपकी सेवा में वह हाजिर है ।
आगे अगली पोस्ट मे…